जब मैं गुमनामी से खुदखुशी कर जाऊँगा, ये वही सज़ा ह | हिंदी शायरी

"जब मैं गुमनामी से खुदखुशी कर जाऊँगा, ये वही सज़ा है जो तेरी कैद में कर जाऊँगा। तूने खुले आसमा के सपने दिखाए मगर, तेरा रकीब के साथ उड़ना कैसे देख पाऊँगा। मैंने सोचा ही नहीं कि तुझमे अय्यारी छुपी है, तेरे ख़िलाफ़ उठने वाली आहट पर मर जाऊँगा। आईने के दरपेश होने पर तुझे तेरी बेवफ़ाई दिखती है, अगर ये सच है तो मैं तेरे दरपेश आईना बन जाऊंगा। सुना है मेरे होने के रंज से तू मुस्कुराता बहुत कम है, मुझे अपनी कैद से रिहा कर दे मैं तेरे सारे रंज ले जाऊंगा। मुझे जब अपनी कैद से रिहा करे तो कोई ख़ामोश गली देखना, वहाँ मेरे सारे सपने बिखेर देना मैं आता जाता ले जाऊँगा।। ©Ajay Dudhwal"

 जब मैं गुमनामी से खुदखुशी कर जाऊँगा,
ये वही सज़ा है जो तेरी कैद में कर जाऊँगा। 

तूने खुले आसमा के सपने दिखाए मगर,
तेरा रकीब के साथ उड़ना कैसे देख पाऊँगा। 

मैंने सोचा ही नहीं कि तुझमे अय्यारी छुपी है,
तेरे ख़िलाफ़ उठने वाली आहट पर मर जाऊँगा।

आईने के दरपेश होने पर तुझे तेरी बेवफ़ाई दिखती है,
अगर ये सच है तो मैं तेरे दरपेश आईना बन जाऊंगा। 

सुना है मेरे होने के रंज से तू मुस्कुराता बहुत कम है,
मुझे अपनी कैद से रिहा कर दे मैं तेरे सारे रंज ले जाऊंगा। 

मुझे जब अपनी कैद से रिहा करे तो कोई ख़ामोश गली देखना,
वहाँ मेरे सारे सपने बिखेर देना मैं आता जाता ले जाऊँगा।।

©Ajay Dudhwal

जब मैं गुमनामी से खुदखुशी कर जाऊँगा, ये वही सज़ा है जो तेरी कैद में कर जाऊँगा। तूने खुले आसमा के सपने दिखाए मगर, तेरा रकीब के साथ उड़ना कैसे देख पाऊँगा। मैंने सोचा ही नहीं कि तुझमे अय्यारी छुपी है, तेरे ख़िलाफ़ उठने वाली आहट पर मर जाऊँगा। आईने के दरपेश होने पर तुझे तेरी बेवफ़ाई दिखती है, अगर ये सच है तो मैं तेरे दरपेश आईना बन जाऊंगा। सुना है मेरे होने के रंज से तू मुस्कुराता बहुत कम है, मुझे अपनी कैद से रिहा कर दे मैं तेरे सारे रंज ले जाऊंगा। मुझे जब अपनी कैद से रिहा करे तो कोई ख़ामोश गली देखना, वहाँ मेरे सारे सपने बिखेर देना मैं आता जाता ले जाऊँगा।। ©Ajay Dudhwal

#City Ashraf Fani【असर】 @Kiran Tribhuvan LoVe YoU # @Firoz Akhtar Chotan Prabhat Srivastava ✍️(kahi mai sayar to nahi)

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