बेटी के सब्र का बांध भी अब टूट रहा
खिलौनों से उसका साथ भी है छूट रहा
आप आ रहे हैं उसको याद यही आती है
पापा-पापा कहकर वो नींद में भी बड़बड़ाती है
व्याकुल सी नजरें सिर्फ आसरे में हैं
दीवाली बीतने से पहले जरूर आएंगे कह रही सहेलियों से
नए नए खिलौने पटाखे पापा मेरे लाएंगे
जलाऊंगी मैं पटाखे उनके साथ
मिलकर तब हम असली दीवाली मनाएंगे
खुशियों की सवारी लेकर घड़ियां हैं आ रही
देखती राह मैं बैठी रही
ढल चुका है दिन अब रात सारी ढल रही।।२।।
#shahadat_bhari_deewali 2