सबसे छुपकर रोना और अपने दर्द को अंदर ही अंदर दबाए

"सबसे छुपकर रोना और अपने दर्द को अंदर ही अंदर दबाए रखना दुआओं में सिर्फ औऱ सिर्फ आने लिए रहम माँगना कई बार इंसान अंदर से टूट जाता हैं, इस कदर परेशान हो जाता हैं कि उसे सब कुछ खत्म करने के अलावा कुछ नज़र नही आता कोई नही जान सकता कौन कितना परेशान है, सिर्फ़ वो इंसान ही महसूस कर सकता है वो कितना दर्द में है दर्द तब होता हैं जब उनका साथ उनके अपने ही छोड़ देते हैं बाहर से ख़ुश दिखने वाला इंसान ज़रूरी नही है कि अंदर से भी खुश हो न रोने वाला इंसान हर पल अंदर ही अंदर रोता हैं कोई नही जानता कौन कितना दर्द में हैं.... ©Vijendra Pratap"

 सबसे छुपकर रोना
और अपने दर्द को अंदर ही अंदर दबाए रखना
दुआओं में सिर्फ औऱ सिर्फ आने लिए रहम माँगना
कई बार इंसान अंदर से टूट जाता हैं,
इस कदर परेशान हो जाता हैं कि 
उसे सब कुछ खत्म करने के अलावा कुछ नज़र नही आता
कोई नही जान सकता कौन कितना परेशान है,
सिर्फ़ वो इंसान ही महसूस कर सकता है वो कितना दर्द में है
दर्द तब होता हैं जब उनका साथ उनके अपने ही छोड़ देते हैं
बाहर से ख़ुश दिखने वाला इंसान ज़रूरी नही है कि अंदर से भी खुश हो
न रोने वाला इंसान हर पल अंदर ही अंदर रोता हैं
कोई नही जानता कौन कितना दर्द में हैं....

©Vijendra Pratap

सबसे छुपकर रोना और अपने दर्द को अंदर ही अंदर दबाए रखना दुआओं में सिर्फ औऱ सिर्फ आने लिए रहम माँगना कई बार इंसान अंदर से टूट जाता हैं, इस कदर परेशान हो जाता हैं कि उसे सब कुछ खत्म करने के अलावा कुछ नज़र नही आता कोई नही जान सकता कौन कितना परेशान है, सिर्फ़ वो इंसान ही महसूस कर सकता है वो कितना दर्द में है दर्द तब होता हैं जब उनका साथ उनके अपने ही छोड़ देते हैं बाहर से ख़ुश दिखने वाला इंसान ज़रूरी नही है कि अंदर से भी खुश हो न रोने वाला इंसान हर पल अंदर ही अंदर रोता हैं कोई नही जानता कौन कितना दर्द में हैं.... ©Vijendra Pratap

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