"ये चार दिवारी का मकॉं अब मुझे मकॉं नही लगता,
तेरे जाने के बाद अब मेरा इस जहां मे दिल नही लगता,
तेरे हिज्र मे गुजारी है मैने इतनी राते कि अब मुझे दिन और रात में फ़रक़ नहीं लगता।"
ये चार दिवारी का मकॉं अब मुझे मकॉं नही लगता,
तेरे जाने के बाद अब मेरा इस जहां मे दिल नही लगता,
तेरे हिज्र मे गुजारी है मैने इतनी राते कि अब मुझे दिन और रात में फ़रक़ नहीं लगता।