ये चार दिवारी का मकॉं अब मुझे मकॉं नही लगता,
तेरे जाने के बाद अब मेरा इस जहां मे दिल नही लगता,
तेरे हिज्र मे गुजारी है मैने इतनी राते कि अब मुझे दिन और रात में फ़रक़ नहीं लगता।
ये चार दिवारी का मकॉं अब मुझे मकॉं नही लगता,
तेरे जाने के बाद अब मेरा इस जहां मे दिल नही लगता,
तेरे हिज्र मे गुजारी है मैने इतनी राते कि अब मुझे दिन और रात में फ़रक़ नहीं लगता।
9 Love
रद्दी बनी पड़ी है मेरी सारी डिग्रियां,
गुस्ताखी हम इश्क करने की जो कर चुके थे।
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here