मुकद्दर मैं शायद नमाज़ और अज़ान ही थी उसके वो ता | हिंदी कविता

"मुकद्दर मैं शायद नमाज़ और अज़ान ही थी उसके वो ताउम्र मस्जिद की देहलीज़ पे बैठा रहा. ©Sahil"

 मुकद्दर मैं शायद नमाज़ और अज़ान ही थी उसके 

वो ताउम्र मस्जिद की देहलीज़  पे बैठा रहा.

©Sahil

मुकद्दर मैं शायद नमाज़ और अज़ान ही थी उसके वो ताउम्र मस्जिद की देहलीज़ पे बैठा रहा. ©Sahil

#Namaaz

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