भूली हुई इक याद का मंज़र
अब भी खुद को दोहराता है!
बीते लम्हों को याद करके
ये चेहरा कुछ खिल जाता है
तुम्हारे साथ चाय की वो चुस्कियां,
देर तक बातें करने की वो दिलचस्पियां
अब बेशक याद बनकर रह गयी
पर, फिर भी जब भी वो स्मृतियाँ
याद आती है-दर्द में भी इन होठों पर
मुस्कान छा जाती है!
भूली हुई इक याद का मंज़र
अब भी खुद को दोहराता है।
#भूली बिसरी यादें