Ajay kumar Singh

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कभी तो ऐसी भी हवा चले कौन किसका है पता तो चले

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#कविता

# कविता बची रहेगी !

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'वादा रहा' जबतक साँस रहेगी तन में सूरज होगा नील गगन में साथ रहेंगे संग तुम्हारे! चाँद-सितारे देंगें गवाही प्यार कभी भी कम न करेंगे दुख-सुख में संग रहूँ तुम्हारे आऊँ दौड़ा जब तू पुकारे इस रिश्ते को जो कहे दुनिया दिल से निभाऊँगा वचन मैं सारे मेरे हमदम तुझसे 'ये वादा रहा'।

#Promise  'वादा रहा'

जबतक साँस रहेगी तन में 
सूरज होगा नील गगन में 
साथ रहेंगे संग तुम्हारे! 
चाँद-सितारे देंगें गवाही 
प्यार कभी भी कम न करेंगे 
दुख-सुख में संग रहूँ तुम्हारे 
आऊँ दौड़ा जब तू पुकारे 
इस रिश्ते को जो कहे दुनिया 
दिल से निभाऊँगा वचन मैं सारे 
मेरे हमदम तुझसे 'ये वादा रहा'।

#Promise

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#तकलीफ़ #कविता

'2019 की आखिरी शाम' ठंड की ठिठुरती साल की ये आखिरी शाम कुछ मायुस सी लग रही है, उदास मौसम में पूरे साल की स्मृतियाँ आँखों के सामने यू चल रही हैं- जैसे कोई छायाचित्र! एकाएक याद आ गई समूचे साल की स्मृतियाँ इस ठिठुरती शाम में खट्टे-मीठे पलों को याद करके कभी उदास तो कभी खुश हो रहा है मन! भूली बिसरी यादें ताजा हो गई है एकबार फिर से जी रहा हूँ समूचे साल को क्या पाया, क्या खो दिया, क्या सहेज कर रख लिया इसी द्वंद्व से जूझ रहा है मन! इस साल छूट गया है इक रिश्ता अधूरा जिसके मुकम्मल होने की अब भी है आश इसी विश्वास के साथ आने वाले साल के स्वागत के लिए आश्वस्त हो रहा है मन कि जो पा न सका वो मुकाम अब हो जाए हाशिल।

#कविता  '2019 की आखिरी शाम'

ठंड की ठिठुरती साल की ये आखिरी शाम 
कुछ मायुस सी लग रही है, उदास मौसम में 
पूरे साल की स्मृतियाँ आँखों के सामने यू चल 
रही हैं- जैसे कोई छायाचित्र! 
एकाएक याद आ गई समूचे साल की 
स्मृतियाँ इस ठिठुरती शाम में
खट्टे-मीठे पलों को याद करके 
कभी उदास तो कभी खुश हो रहा है मन! 
भूली बिसरी यादें ताजा हो गई है 
एकबार फिर से जी रहा हूँ समूचे साल को 
क्या पाया, क्या खो दिया, क्या सहेज कर 
रख लिया इसी द्वंद्व से जूझ रहा है मन! 
इस साल छूट गया है इक रिश्ता अधूरा 
जिसके मुकम्मल होने की अब भी है आश 
इसी विश्वास के साथ आने वाले साल के 
स्वागत के लिए आश्वस्त हो रहा है मन 
कि जो पा न सका वो मुकाम अब हो जाए हाशिल।

#2019 की आखिरी शाम

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भूली हुई इक याद का मंज़र अब भी खुद को दोहराता है! बीते लम्हों को याद करके ये चेहरा कुछ खिल जाता है तुम्हारे साथ चाय की वो चुस्कियां, देर तक बातें करने की वो दिलचस्पियां अब बेशक याद बनकर रह गयी पर, फिर भी जब भी वो स्मृतियाँ याद आती है-दर्द में भी इन होठों पर मुस्कान छा जाती है! भूली हुई इक याद का मंज़र अब भी खुद को दोहराता है।

#भूली  भूली हुई इक याद का मंज़र 
अब भी खुद को दोहराता है!
बीते लम्हों को याद करके 
ये चेहरा कुछ खिल जाता है 
तुम्हारे साथ चाय की वो चुस्कियां, 
देर तक बातें करने की वो दिलचस्पियां 
अब बेशक याद बनकर रह गयी 
पर, फिर भी जब भी वो स्मृतियाँ 
याद आती है-दर्द में भी इन होठों पर 
मुस्कान छा जाती है!
भूली हुई इक याद का मंज़र 
अब भी खुद को दोहराता है।

#भूली बिसरी यादें

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मंजिल के करीब हूँ बेशक पर मेरा सफर अधूरा है तुम जो न हो साथ मेरे तो- हर इक ख्वाब अधूरा है बात नहीं होती अब बेशक- पर किस्सा मेरा अधूरा है तेरे आने से हो जाए मुकम्मल जो अभी जिंदगानी अधूरा है कर दो न मेरे ख्वाब पूरे- तुम्हारे बिन मेरा शख्सियत अधूरा है ।

#मेरा  मंजिल के करीब हूँ बेशक
पर मेरा सफर अधूरा है 
तुम जो न हो साथ मेरे तो- 
हर इक ख्वाब अधूरा है 
बात नहीं होती अब बेशक- 
पर किस्सा मेरा अधूरा है 
तेरे आने से हो जाए मुकम्मल 
जो अभी जिंदगानी अधूरा है 
कर दो न मेरे ख्वाब पूरे-
तुम्हारे बिन मेरा 
शख्सियत अधूरा है ।

#मेरा सफ़र अधूरा है!

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