शायद सच कहते हैं वह लोग,
की लड़की का कोई अपना घर नहीं होता।
जब तक मम्मी पापा के घर रहती है,
वह मम्मी पापा का घर कहलाता है।
लाजमी है,मर्जी भी उनका ही चलता है।
पसंद नापसंद उनकी ही होती है।
जब शादी करके ससुराल जाती है,
तब वह पति का घर कहलाता है।
पसंद ना पसंद भी उनका हीं होता हैं
लड़की की इच्छा तो सायद
किसी पुरानी इमारत तले दब के रह जाती है।
©Writer Pompy Sutradhar