White जब तक समय है शेष मुझमें
रुक जाए सब, मैं चलता रहूंगा।
दौर चाहे बदले समय का
बदले सब, मैं ढलता रहूंगा।
कुछ जीतने की दौड़ में,
किस्मत भले ना संग हो।
कुछ सीखने की होड़ में
मैं खुद से ही लड़ता रहूंगा।।
सपनो की कई डालियां ,
है पनपती रोज मुझमें।
पर एक शाखा है की जिसका
शय सुकून देता मुझे।
रोज गिरता, रोज चलता,
जब कभी थक जाता मैं।
कुछ और पल, फिर ख्वाब पूरे,
ये जुनून देता मुझे।
सपनो के उस शाख को
जीवित रखूंगा जीत तक।
पर,जीत ना पाया अगर
उस भाव को सहेजकर
जिंदा रखूंगा ख्वाब को ,
रास्तों के ठोकरों से ,
मैं खुद ही संभालता चलूंगा।
जब तक समय है शेष मुझमें
कुछ पाने तक चलता रहूंगा।।।
©Vishwas Pradhan
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