Vishwas Pradhan

Vishwas Pradhan Lives in Varanasi, Uttar Pradesh, India

जिंदगी के समझ को शब्दों में पिरोकर, कुछ मिलने की उम्मीद में जो ना पाया उसे खोकर, कभी इश्क़ कभी सबक या तंज करता किरदार हूँ। कहानियां समेटकर दुनिया की, पन्नो पे लिखता मैं एक कलमकार हूँ।।

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White तुम मिले, मन मिला, सुकून जैसे ठहर गया, की गांव का वो लड़का, जैसे अभी शहर गया। खोजता भटक रहा , अधूरी थी तलाश अभी , आंखो को थकाते, कितनी रातों का पहर गया। तुम मिली तो जैसे लगा, ख्वाबों को कुछ बल मिला, थके हुए रातों को, भोर का कुछ पल मिला। तलाश था की मेरे भी हिस्से में जरा प्यार हो। तुमसे मिलके लगा जैसे, गांव से मैं कल मिला।। खालीपन से लदा मुझमें, एक हिस्सा अब भी है।  बिखरी हुई कहानियों का ,एक किस्सा अब भी है। नसीब से नाराज़ था, किस्से में प्रेम क्यूं नहीं? पाया तुम्हे पता चला, हिस्से में प्रेम अब भी है।। अगर कबूल हो तुम्हे, तलाश को आयाम दूं? प्रेम के इस किस्से के, किरदार को इक नाम दूंl मैं राही अभी भटका हुआ, तलाश है एक मोड़ की। मंजूर है अगर तुम्हे, इस सफर को एक अंजाम दूं? ©Vishwas Pradhan

#love_shayari  White तुम मिले, मन मिला, सुकून जैसे ठहर गया,
की गांव का वो लड़का, जैसे अभी शहर गया।
खोजता भटक रहा , अधूरी थी तलाश अभी ,
आंखो को थकाते, कितनी रातों का पहर गया।


तुम मिली तो जैसे लगा, ख्वाबों को कुछ बल मिला,
थके हुए रातों को, भोर का कुछ पल मिला।
तलाश था की मेरे भी हिस्से में जरा प्यार हो।
तुमसे मिलके लगा जैसे, गांव से मैं कल मिला।।


खालीपन से लदा मुझमें, एक हिस्सा अब भी है। 
बिखरी हुई कहानियों का ,एक किस्सा अब भी है।
नसीब से नाराज़ था, किस्से में प्रेम क्यूं नहीं?
पाया तुम्हे पता चला, हिस्से में प्रेम अब भी है।।


अगर कबूल हो तुम्हे, तलाश को आयाम दूं?
प्रेम के इस किस्से के, किरदार को इक नाम दूंl
मैं राही अभी भटका हुआ, तलाश है एक मोड़ की।
मंजूर है अगर तुम्हे, इस सफर को एक अंजाम दूं?

©Vishwas Pradhan

#love_shayari love poetry in hindi

13 Love

White जब तक समय है शेष मुझमें रुक जाए सब, मैं चलता रहूंगा। दौर चाहे बदले समय का बदले सब, मैं ढलता रहूंगा। कुछ जीतने की दौड़ में,  किस्मत भले ना संग हो।  कुछ सीखने की होड़ में  मैं खुद से ही लड़ता रहूंगा।। सपनो की कई डालियां , है पनपती रोज मुझमें। पर एक शाखा है की जिसका शय सुकून देता मुझे। रोज गिरता, रोज चलता,  जब कभी थक जाता मैं। कुछ और पल, फिर ख्वाब पूरे, ये जुनून देता मुझे। सपनो के उस शाख को   जीवित रखूंगा जीत तक।  पर,जीत ना पाया अगर उस भाव को  सहेजकर जिंदा रखूंगा ख्वाब को , रास्तों के ठोकरों से , मैं खुद ही संभालता चलूंगा। जब तक समय है शेष मुझमें कुछ पाने तक चलता रहूंगा।।। ©Vishwas Pradhan

 White जब तक समय है शेष मुझमें
रुक जाए सब, मैं चलता रहूंगा।

दौर चाहे बदले समय का
बदले सब, मैं ढलता रहूंगा।

कुछ जीतने की दौड़ में,
 किस्मत भले ना संग हो।

 कुछ सीखने की होड़ में 
मैं खुद से ही लड़ता रहूंगा।।

सपनो की कई डालियां ,
है पनपती रोज मुझमें।

पर एक शाखा है की जिसका
शय सुकून देता मुझे।

रोज गिरता, रोज चलता,
 जब कभी थक जाता मैं।

कुछ और पल, फिर ख्वाब पूरे,
ये जुनून देता मुझे।

सपनो के उस शाख को 
 जीवित रखूंगा जीत तक।

 पर,जीत ना पाया अगर
उस भाव को  सहेजकर

जिंदा रखूंगा ख्वाब को ,
रास्तों के ठोकरों से ,
मैं खुद ही संभालता चलूंगा।

जब तक समय है शेष मुझमें
कुछ पाने तक चलता रहूंगा।।।

©Vishwas Pradhan

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12 Love

White किसी सपने खातिर भागे क्या, उसे जीने खातिर जागे क्या, जिस जीवन का भरते हो दंभ उसे पाने खातिर त्यागे क्या? क्या लड़ा कभी खुद से तुमने, तुम शर्त कभी कोई हारे क्या, क्या चले हो ऐसे राह कभी, जहां पता नहीं हो आगे क्या उस मंजिल तक जाने खातिर, जीवन से मौके मांगे क्या, जिस जीवन का भरते हो दंभ, उसे पाने खातिर त्यागे क्या?? विरले ही हुए हैं वीर यहां, जो रण में कभी न हारे हों। पर संघर्षों में तपकर ही, वो साधक से वीर बने। हर सपने का मोल कोई, सबको ही चुकाना पड़ता है। पर जिनके सपने असली हों, बस वही अंत तक चलता है। गिरकर चलना खुद सीखे क्या, कहो सहा तंज कोई तीखे क्या, जो लड़ते रहे अबतक खुद से तो, कहो जंग कोई जीते क्या। इस जीवन के तपोवन में, हर छड़ लड़ना है युद्ध नया। हारा है वही जो तपा नहीं, जो सीखें दाव वो जीत गए। असफलता के शिखर पर ही, सबने लिखा है जीत गान,  घूमता है निरंतर कर्म रथ, जो किए कर्म, वो हुए महान।। ©Vishwas Pradhan

#MondayMotivation #GoodMorning  White  किसी सपने खातिर भागे क्या,
उसे जीने खातिर जागे क्या,
जिस जीवन का भरते हो दंभ
उसे पाने खातिर त्यागे क्या?

क्या लड़ा कभी खुद से तुमने,
तुम शर्त कभी कोई हारे क्या,
क्या चले हो ऐसे राह कभी,
जहां पता नहीं हो आगे क्या

उस मंजिल तक जाने खातिर,
जीवन से मौके मांगे क्या,
जिस जीवन का भरते हो दंभ,
उसे पाने खातिर त्यागे क्या??

विरले ही हुए हैं वीर यहां,
जो रण में कभी न हारे हों।
पर संघर्षों में तपकर ही,
वो साधक से वीर बने।

हर सपने का मोल कोई,
सबको ही चुकाना पड़ता है।
पर जिनके सपने असली हों,
बस वही अंत तक चलता है।

गिरकर चलना खुद सीखे क्या,
कहो सहा तंज कोई तीखे क्या,
जो लड़ते रहे अबतक खुद से तो,
कहो जंग कोई जीते क्या।

इस जीवन के तपोवन में,
हर छड़ लड़ना है युद्ध नया।
हारा है वही जो तपा नहीं,
जो सीखें दाव वो जीत गए।

असफलता के शिखर पर ही,
सबने लिखा है जीत गान, 
घूमता है निरंतर कर्म रथ,
जो किए कर्म, वो हुए महान।।

©Vishwas Pradhan

#GoodMorning #MondayMotivation hindi poetry

14 Love

White वो गांव की लड़की शहर में रहती थी,     मैं शहर तो गया , मुझमें गांव रह गया।।      मुझ जैसे कितनो से मिलके मैं  हम बन गया,    उसका मिलना मगर बदलने का आलम बन गया।।  मेरे सपनो में उसकी आंखे, उसकी बातें,  उसके रस्ते, उसकी गलियां । उसका सपना बड़ा घर, नए लोग,  अच्छा जीवन, सारी खुशियां।। कभी मिला नहीं, कोई गिला नहीं,  उसे समझा तो खूब मगर जाना नहीं।  कुछ बातें हुई तो सारे किस्से सुनाए, उसकी मर्जी थी उसने माना नहीं।। उसकी नजर किसी अच्छे पर थी शायद बेहतर पे,  मुझमें बदलाव अभी बाकी थे ।। क्यूं मिलूं उसे मैं कैसे मुझे वो मिले,  कशमकश के दौर में,  यही ख्वाब मेरे साथी थे।। मैंने प्रेम चुना था, बुरा भी कैसे सोचता, उसके हर शब्दो में मेरी बदनामी थी। समेट के स्वाभिमान चला, मैं हारा, प्रेम बचा पर, सुरूप को प्रेम समझ लेना ये मेरी नादानी थी।। तमाम कोशिशों को उसकी मंजूरी नहीं थी, लौट आया मैं सवालों में प्रेम खोजकर प्रेम तो था मगर वो जरूरी नहीं थी।। सबको हक है चुनने को,  याकि मन या जीवन अच्छा। प्रेम गांव में सहज है मिलना,  शहरों का बस भ्रम है अच्छा।। ©Vishwas Pradhan

#love_shayari #MyPoetry  White  वो गांव की लड़की शहर में रहती थी,
    मैं शहर तो गया , मुझमें गांव रह गया।।

     मुझ जैसे कितनो से मिलके मैं  हम बन गया,
   उसका मिलना मगर बदलने का आलम बन गया।।

 मेरे सपनो में उसकी आंखे, उसकी बातें, 
उसके रस्ते, उसकी गलियां ।

उसका सपना बड़ा घर, नए लोग, 
अच्छा जीवन, सारी खुशियां।।

कभी मिला नहीं, कोई गिला नहीं, 
उसे समझा तो खूब मगर जाना नहीं।

 कुछ बातें हुई तो सारे किस्से सुनाए,
उसकी मर्जी थी उसने माना नहीं।।

उसकी नजर किसी अच्छे पर थी शायद बेहतर पे, 
मुझमें बदलाव अभी बाकी थे ।।

क्यूं मिलूं उसे मैं कैसे मुझे वो मिले,

 कशमकश के दौर में,
 यही ख्वाब मेरे साथी थे।।

मैंने प्रेम चुना था, बुरा भी कैसे सोचता,
उसके हर शब्दो में मेरी बदनामी थी।

समेट के स्वाभिमान चला, मैं हारा, प्रेम बचा पर,
सुरूप को प्रेम समझ लेना ये मेरी नादानी थी।।

तमाम कोशिशों को उसकी मंजूरी नहीं थी,
लौट आया मैं सवालों में प्रेम खोजकर
प्रेम तो था मगर वो जरूरी नहीं थी।।

सबको हक है चुनने को, 
याकि मन या जीवन अच्छा।

प्रेम गांव में सहज है मिलना, 
शहरों का बस भ्रम है अच्छा।।

©Vishwas Pradhan

#love_shayari #MyPoetry poetry in hindi

13 Love

White तस्वीर तुम्हारी कोई पुरानी,  आज भी जब दिख जाती तो। जी करता कुछ पल खुश हो लूं,  की तुमसे प्रेम हुआ था। मन में ठहरा कोई घाव कभी  जब आंखो में दिख जाता तो। जी करता खुद को कोसूं,   कि क्यूं तुमसे प्रेम हुआ था। तुमको देखा तो प्रेम मिला,              फिर पाने का ठान लिया। तुमको समझा तो ये जाना ,              एक भ्रम को जीवन मान लिया। तुम मिले तो भ्रम का भेद खुला,  ये जाना सबकुछ प्रेम नहीं। मन को भी चमकते रहना है, तन की सुघराई प्रेम नहीं। सुंदर फूलों पे भंवरे भी,  कुछ पल तक ही मंडराते हैं। जब तक है रस, मन भरते हैं,   फिर लौट उसी घर जातें हैं।। जो मन का हो, तो ख्वाब सही,                    सपने पूरे तो सफल मेहनत। जो मिला ना कुछ, वो मेरा नहीं                    क्यों कोसे फिर ऐसी किस्मत''। क्यूं गम में रहे, तुम मिली नहीं,  सबके हिस्से है प्रेम कभी। मैं तुम तक था और तुम थी कहीं,   समय के हैं ये खेल सभी। नए लोग मिले, वो साथ चले,  ये महज चुनाव हमारा है। कोई चला नहीं, गर अंतिम तक,  मन एक चुनाव बस हारा है।  मन का मिलना, यादें जुड़ना,  सब चक्र रचा उस नियती ने। भले राम हुए या कृष्ण बने,  सबको ही प्रेम ये प्यारा है। ©Vishwas Pradhan

#Sad_Status #MyPoetry #Hindi  White तस्वीर तुम्हारी कोई पुरानी,
 आज भी जब दिख जाती तो।
जी करता कुछ पल खुश हो लूं,
 की तुमसे प्रेम हुआ था।
मन में ठहरा कोई घाव कभी
 जब आंखो में दिख जाता तो।
जी करता खुद को कोसूं,
  कि क्यूं तुमसे प्रेम हुआ था।

           तुमको देखा तो प्रेम मिला, 
            फिर पाने का ठान लिया।
             तुमको समझा तो ये जाना ,
             एक भ्रम को जीवन मान लिया।

तुम मिले तो भ्रम का भेद खुला,
 ये जाना सबकुछ प्रेम नहीं।
मन को भी चमकते रहना है,
तन की सुघराई प्रेम नहीं।
सुंदर फूलों पे भंवरे भी,
 कुछ पल तक ही मंडराते हैं।
जब तक है रस, मन भरते हैं,
  फिर लौट उसी घर जातें हैं।।

                 जो मन का हो, तो ख्वाब सही,
                   सपने पूरे तो सफल मेहनत।
                 जो मिला ना कुछ, वो मेरा नहीं
                   क्यों कोसे फिर ऐसी किस्मत''।
क्यूं गम में रहे, तुम मिली नहीं,
 सबके हिस्से है प्रेम कभी।
मैं तुम तक था और तुम थी कहीं,
  समय के हैं ये खेल सभी।

                            नए लोग मिले, वो साथ चले, 
                         ये महज चुनाव हमारा है।
                कोई चला नहीं, गर अंतिम तक, 
       मन एक चुनाव बस हारा है।
 मन का मिलना, यादें जुड़ना, 
सब चक्र रचा उस नियती ने।
भले राम हुए या कृष्ण बने,
 सबको ही प्रेम ये प्यारा है।

©Vishwas Pradhan

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1 Love

White सजा सजल नयन हो या हो पद हो कोई ईश का,  मन में प्रेम क्षद्म हो या प्रीत हो शिरीष सा।  अनंत तक वही गया , है बोध जिसे तत्व का,   धनीं यहां वही सदा,है ज्ञान जिसे सत्य का।  अधीर मन की प्रेरणा,कुछ पल की वास मात्र है,  किस्से वही जीवंत हैं जो एक काल तक कुठाग्र हैं।  मन में रचित रचना का, है भला अस्तित्व क्या?  जो कालजयी बन लड़ा, हर गीत में वो ही पात्र है।। ©Vishwas Pradhan

#Motivational #MyPoetry  White सजा सजल नयन हो या हो पद हो कोई ईश का,

 मन में प्रेम क्षद्म हो या प्रीत हो शिरीष सा।

 अनंत तक वही गया , है बोध जिसे तत्व का, 

 धनीं यहां वही सदा,है ज्ञान जिसे सत्य का।

 अधीर मन की प्रेरणा,कुछ पल की वास मात्र है,

 किस्से वही जीवंत हैं जो एक काल तक कुठाग्र हैं।

 मन में रचित रचना का, है भला अस्तित्व क्या?

 जो कालजयी बन लड़ा, हर गीत में वो ही पात्र है।।

©Vishwas Pradhan

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15 Love

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