White तस्वीर तुम्हारी कोई पुरानी,  आज भी जब दिख जा | English Poet

"White तस्वीर तुम्हारी कोई पुरानी,  आज भी जब दिख जाती तो। जी करता कुछ पल खुश हो लूं,  की तुमसे प्रेम हुआ था। मन में ठहरा कोई घाव कभी  जब आंखो में दिख जाता तो। जी करता खुद को कोसूं,   कि क्यूं तुमसे प्रेम हुआ था। तुमको देखा तो प्रेम मिला,              फिर पाने का ठान लिया। तुमको समझा तो ये जाना ,              एक भ्रम को जीवन मान लिया। तुम मिले तो भ्रम का भेद खुला,  ये जाना सबकुछ प्रेम नहीं। मन को भी चमकते रहना है, तन की सुघराई प्रेम नहीं। सुंदर फूलों पे भंवरे भी,  कुछ पल तक ही मंडराते हैं। जब तक है रस, मन भरते हैं,   फिर लौट उसी घर जातें हैं।। जो मन का हो, तो ख्वाब सही,                    सपने पूरे तो सफल मेहनत। जो मिला ना कुछ, वो मेरा नहीं                    क्यों कोसे फिर ऐसी किस्मत''। क्यूं गम में रहे, तुम मिली नहीं,  सबके हिस्से है प्रेम कभी। मैं तुम तक था और तुम थी कहीं,   समय के हैं ये खेल सभी। नए लोग मिले, वो साथ चले,  ये महज चुनाव हमारा है। कोई चला नहीं, गर अंतिम तक,  मन एक चुनाव बस हारा है।  मन का मिलना, यादें जुड़ना,  सब चक्र रचा उस नियती ने। भले राम हुए या कृष्ण बने,  सबको ही प्रेम ये प्यारा है। ©Vishwas Pradhan"

 White तस्वीर तुम्हारी कोई पुरानी,
 आज भी जब दिख जाती तो।
जी करता कुछ पल खुश हो लूं,
 की तुमसे प्रेम हुआ था।
मन में ठहरा कोई घाव कभी
 जब आंखो में दिख जाता तो।
जी करता खुद को कोसूं,
  कि क्यूं तुमसे प्रेम हुआ था।

           तुमको देखा तो प्रेम मिला, 
            फिर पाने का ठान लिया।
             तुमको समझा तो ये जाना ,
             एक भ्रम को जीवन मान लिया।

तुम मिले तो भ्रम का भेद खुला,
 ये जाना सबकुछ प्रेम नहीं।
मन को भी चमकते रहना है,
तन की सुघराई प्रेम नहीं।
सुंदर फूलों पे भंवरे भी,
 कुछ पल तक ही मंडराते हैं।
जब तक है रस, मन भरते हैं,
  फिर लौट उसी घर जातें हैं।।

                 जो मन का हो, तो ख्वाब सही,
                   सपने पूरे तो सफल मेहनत।
                 जो मिला ना कुछ, वो मेरा नहीं
                   क्यों कोसे फिर ऐसी किस्मत''।
क्यूं गम में रहे, तुम मिली नहीं,
 सबके हिस्से है प्रेम कभी।
मैं तुम तक था और तुम थी कहीं,
  समय के हैं ये खेल सभी।

                            नए लोग मिले, वो साथ चले, 
                         ये महज चुनाव हमारा है।
                कोई चला नहीं, गर अंतिम तक, 
       मन एक चुनाव बस हारा है।
 मन का मिलना, यादें जुड़ना, 
सब चक्र रचा उस नियती ने।
भले राम हुए या कृष्ण बने,
 सबको ही प्रेम ये प्यारा है।

©Vishwas Pradhan

White तस्वीर तुम्हारी कोई पुरानी,  आज भी जब दिख जाती तो। जी करता कुछ पल खुश हो लूं,  की तुमसे प्रेम हुआ था। मन में ठहरा कोई घाव कभी  जब आंखो में दिख जाता तो। जी करता खुद को कोसूं,   कि क्यूं तुमसे प्रेम हुआ था। तुमको देखा तो प्रेम मिला,              फिर पाने का ठान लिया। तुमको समझा तो ये जाना ,              एक भ्रम को जीवन मान लिया। तुम मिले तो भ्रम का भेद खुला,  ये जाना सबकुछ प्रेम नहीं। मन को भी चमकते रहना है, तन की सुघराई प्रेम नहीं। सुंदर फूलों पे भंवरे भी,  कुछ पल तक ही मंडराते हैं। जब तक है रस, मन भरते हैं,   फिर लौट उसी घर जातें हैं।। जो मन का हो, तो ख्वाब सही,                    सपने पूरे तो सफल मेहनत। जो मिला ना कुछ, वो मेरा नहीं                    क्यों कोसे फिर ऐसी किस्मत''। क्यूं गम में रहे, तुम मिली नहीं,  सबके हिस्से है प्रेम कभी। मैं तुम तक था और तुम थी कहीं,   समय के हैं ये खेल सभी। नए लोग मिले, वो साथ चले,  ये महज चुनाव हमारा है। कोई चला नहीं, गर अंतिम तक,  मन एक चुनाव बस हारा है।  मन का मिलना, यादें जुड़ना,  सब चक्र रचा उस नियती ने। भले राम हुए या कृष्ण बने,  सबको ही प्रेम ये प्यारा है। ©Vishwas Pradhan

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