ख़्वाईशों से अब दूर हूँ, मैं
भावनाओं की दूसरी छोर हूं,मैं
वक़्त ने यूँ किये है बदलाव की ,
अपने बेइंतिहा मोहब्बत को नज़रंदाज़ करने को मजबूर हूँ मैं।। ख़्वाईशों से अब दूर हूँ, मैं
भावनाओं की दूसरी छोर हूँ, मैं
वक़्त ने कुछ यूं किये हैं बदलाव ,कि
अपने बेइंतिहा मोहब्बत को,
नज़रन्दाज करने को भी ,
मजबूर हूँ मैं।। 😔
#दूरी