हमें कोई फर्क नहीं पड़ता के आखिर,
हमारे पीठ पीछे कौन क्या कहता हैं?
बल्कि, गुरूर तो हमें इस बात का हैं
के सामने हमारे हर कोई, अपनी अपनी औकात में रहता हैं।
बहुत सोचने पर एक बात समझ में आई
के कुछ ख़ास बात हम में भी तो होगी,
तभी तो ये लोग बड़ा ही कमाल करते हैं
महफिलें अपनी सजाकर ज़िक्र हमारा करते हैं।
यूं तो अपनी मेहनत से अपना नाम न कर सकें,
तभी तो हमें बदनाम करके जग में अपना नाम
बनाने की नापाक कोशिशें हज़ार करते हैं।
©Chulbuli
#कविता