उस जश्न में हम भी शामिल थे,पर दिल श्रांत लगने लगा। | हिंदी शायरी

"उस जश्न में हम भी शामिल थे,पर दिल श्रांत लगने लगा। देखते ही देखते वहाँ के माहौल हमें अशांत लगने लगा। महफ़िल में मेहमानों का हम कैसे रख सकते थे ख़याल, खुद को ढूँढते -ढूँढते यह जगत ही हमें भ्रांत लगने लगा। ✍️साई नलिनी ©Nalini Sai"

 उस जश्न में हम भी शामिल थे,पर दिल श्रांत लगने लगा। 
देखते  ही देखते  वहाँ के माहौल हमें अशांत लगने लगा।
महफ़िल में मेहमानों का हम कैसे  रख सकते थे ख़याल,
खुद को ढूँढते -ढूँढते यह जगत ही हमें भ्रांत लगने लगा।

✍️साई नलिनी

©Nalini Sai

उस जश्न में हम भी शामिल थे,पर दिल श्रांत लगने लगा। देखते ही देखते वहाँ के माहौल हमें अशांत लगने लगा। महफ़िल में मेहमानों का हम कैसे रख सकते थे ख़याल, खुद को ढूँढते -ढूँढते यह जगत ही हमें भ्रांत लगने लगा। ✍️साई नलिनी ©Nalini Sai

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