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छुपाते-छुपाते जिगर का जख़्म और भी ज्यादा हो गया। मुझ पर राज करते-करते बुरा वक्त ही शहज़ादा हो गया। कैसे कट रहे हैं मेरे दिन और रात कभी भी यह मत पूछो, मेरे हाल पे पिघलते-पिघलते ये चाँद भी आधा हो गया। ©Nalini Sai
Nalini Sai
5 Love
ज़रा सी मोहलत मिलते ही आँसू पलकों से गिरना चाहता है। मुस्कराहट को कुछ समय तक चौखट पर वो रखना चाहता है। दुनिया को गुमराह करने का चलन टूटने वाला है आजकल, उर का घाव भर जाते ही आँखो में फिर वो सिमटना चाहता है। ✍️साई नलिनी ©Nalini Sai
3 Love
बहुत ही उत्सुक है कान्हा मुझसे बिछड़ने के लिए । कैसे मनाऊँ मैं मेरे नादान दिल को धड़कने के लिए । होंठों की मुस्कान हृदय के घाव को तो छुपा लेती है , लेकिन तरस रही हैं मेरी सूखी आँखें बरसने के लिए। ✍️साई नलिनी श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ दोस्तों,,, राधे राधे जी 🙏🌹🙏 ©Nalini Sai
धरती पर हरेक इनसान नया नया लेता है जनम जाग जाने के बाद। दूर भागता है तम,अकसर गुम हो जाता है वहम जाग जाने के बाद। लूटकर अपनों का प्यार, जी भर के जी लेता है वो ख़्वाबों में,इसीलिए कभी हँसती हैं उसकी आँखें, कभी रहती है नम जाग जाने के बाद। ✍️साई नलिनी ©Nalini Sai
दूर तक पसरी हुई रात की तन्हाई हूँ मैं। ख़ाली नजरों में ठहरी रही परछाईं हूँ मैं। ताल्लुक़ टूट गया है मतलबी दुनिया से , हर सहन में बजती रही वह शहनाई हूँ मैं। ✍️साई नलिनी ©Nalini Sai
8 Love
उस जश्न में हम भी शामिल थे,पर दिल श्रांत लगने लगा। देखते ही देखते वहाँ के माहौल हमें अशांत लगने लगा। महफ़िल में मेहमानों का हम कैसे रख सकते थे ख़याल, खुद को ढूँढते -ढूँढते यह जगत ही हमें भ्रांत लगने लगा। ✍️साई नलिनी ©Nalini Sai
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