दूर तक पसरी हुई रात की तन्हाई हूँ मैं। ख़ाली नजरों में ठहरी रही परछाईं हूँ मैं। ताल्लुक़ टूट गया है मतलबी दुनिया से , हर सहन में बजती रही वह शहनाई हूँ म.
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