द्वापर युग में कोई फफ्ज़ ना जता कर भी सदियों तक प्यार को मेहसूस किया और समझा जाता था, कलयुग में हर शक्श प्रेम में हैं अपनी दास्तान दुनिया को जताते हुए मर जाया करते है, पर फिर भी प्रेम मेहसूस नहीं करा पाते, इसका उल्लेख अभियांत्रिकी engineering, चिकित्सक doctory,वकील lawer सभी पुस्तकों में इसका उल्लेखं है, सभी के पास अपनी अपनी डिग्रियां हासिल हैं, ये सारी भाषाएं समझ सकते है केवल प्रेम की भाषा को छोड़ कर, इनके पास सब कुछ है प्रेम को छोड़ कर, ये प्रेम देना जानते हैं लेकिन प्रेम स्वीकारना इन्हे नहीं आता।।
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