"बचपन की यादें वो बचपन की कहानियाँ मुझे बहुत याद आती है,
वो शैतानियाँ आज भी मेरे चेहरे पर मुस्कान लाती है,
वो खेतों की पगड़डियां मुझे आज भी बुलाती है,
वो दोस्तों की टोलिया मुझे आज भी हसाती है,
वो पापा की डांट से बचने के लिए दादी के पीछे छिप जाना,
वो बहना को चिढ़ाकर भाग जाना,
वो स्कूल में हर रोज एक नया बहाना आज भी याद आता है,
वो गुजरा जमाना वो बचपन पुराना आज भी याद आता है,
वो मोहल्ले का प्यार वो उसके लिए सबसे तकरार,
करवे पर उसका मेरे लिए सोलहो सिंगार याद आता है,
वो टीचर का मुझे देख कर मुस्कराना इस बात को लेकर दोस्तों का
मुझे चिढ़ाना याद आता है,
वो नहरों पर जाना वो दोस्तों के साथ साइकिल चलाना याद आता है |
वो बचपन का फ़साना याद आता है वो गुजरा जमाना याद आता है |
©Suresh Gulia
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