करवटें बदल-बदल कर,
हम रात गुज़ारा करते हैं..........
जान नींद में भी अक्सर,
हम तुम्हें पुकारा करते हैं.........
तुमने तो यूं छोड़ दिया है,
बीच सफर में साथ हमारा.......
न जाने क्यों फ़िर भी हम,
इंतज़ार तुम्हारा करते हैं..........
©Poet Maddy
करवटें बदल-बदल कर,
हम रात गुज़ारा करते हैं..........
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