"तेरे खातिर शहर छोड़े अपने लोग को छोड़ा
तेरे खातिर समाज और दोस्त को छोड़ा
तेरे खातिर मैं अपनी जिन्दगी की हर खूशयां छोड़ा
और तू कहती है कि आप हमें भूल जाओ
ये सूरज की किरणों की तरह मैं तेरे साथ रहूंगा
( ताहिर हुसैन दिल्ली भारत )"
तेरे खातिर शहर छोड़े अपने लोग को छोड़ा
तेरे खातिर समाज और दोस्त को छोड़ा
तेरे खातिर मैं अपनी जिन्दगी की हर खूशयां छोड़ा
और तू कहती है कि आप हमें भूल जाओ
ये सूरज की किरणों की तरह मैं तेरे साथ रहूंगा
( ताहिर हुसैन दिल्ली भारत )