हार कर भी रुका नहीं
पथ से तनिक भी डिगा नहीं
मौसम बदले ,बदले यार
पर लक्ष्य कभी बदला नही
चोट लगी,पर टूटा नही
पानी आंखों से बहने दिया नही
अंतर्मन निश्चय किया प्रबल
मंजिल पाने से पहले रुका नहीं
जीती बाजी कितना जीता नही
भाग्य भरोसे कभी रहा नही
मेहनत की, विश्वास किया
फिर हार का मुंह मैंने देखा नही
©विजय