क्यो लिखकर अल्फ़ाज़ कोरे कागज पर,
श्याही बेकार करता हैं
क्यो मांगकर मदद किसी गैर से,
खुद को उसका तलबगार करता हैं,
औऱ क्यों बेच देते हैं ईमान चंद सिक्को के लिए,
कभी ये भी सोचा करो की कोई हैं,
जो पाप औऱ पुण्य का भी हिसाब रखता हैं।
अरुण राजपूत की कलम से----////
©ARUN KUMAR
बस यूंही
#Lifelight