कि एक अटल अविचल शिला हूँ मैं मुझे बहना नहीं आता ज | हिंदी शायरी
"कि एक अटल अविचल शिला हूँ मैं मुझे बहना नहीं आता
जो दिल आ जाये किसी पर एक बार मुझे मुड़ना नही आता
हाँ तुझ में बात तो है कुछ अलग सी जो मुझे तूने हिला डाला
ये तेरी आँखों का ही दरिया है जो है मुझको बहा जाता"
कि एक अटल अविचल शिला हूँ मैं मुझे बहना नहीं आता
जो दिल आ जाये किसी पर एक बार मुझे मुड़ना नही आता
हाँ तुझ में बात तो है कुछ अलग सी जो मुझे तूने हिला डाला
ये तेरी आँखों का ही दरिया है जो है मुझको बहा जाता