नभ में एक तारा था, लगता बहुत ही प्यारा था,
उस तारे का क्या मोल रहा, वह टूटा तो भी अनमोल रहा,
उस तारे के आकर्षण की पुरज़ोर एक सौगात गई,
जो बीत गयी सो बात गयी!
संसार में जो भी आया है, किस्मत से ही भरमाया है,
मिलता उतना ही जितना पाता है, बस एहसान निभाता जाता है,
उस इंसा की हाथ की लकीरों की एक नाकामयाब फरियाद गई,
जो बीत गयी सो बात गयी!
जीवन में कितना सूखा है, जो खा रहा है वही भूखा है,
कितना खाएगा बिन सोचे, औरों का खाना भी यही नोंचे,
ऋतुओं के जामुन आमों की समय पर हुई बरसात गयी,
जो बीत गयी सो बात गयी!
©Rangmanch Bharat
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