क्या यूँ ही करती रहेंगीं ये आँखें तुम्हारी तलाश। त | हिंदी Shayari

"क्या यूँ ही करती रहेंगीं ये आँखें तुम्हारी तलाश। तुम कब इन आँखों का सफर ख़त्म करोगी। क्या में यूँ ही मरता रहूँगा इस इश्क़ की आग में। तुम कब अपने लम्स से मुझे ज़िंदा करोगी। ©Yusuf Dehlvi"

 क्या यूँ ही करती रहेंगीं ये आँखें तुम्हारी तलाश।
तुम कब इन आँखों का सफर ख़त्म करोगी।

क्या में यूँ ही मरता रहूँगा इस इश्क़ की आग में।
तुम कब अपने लम्स से मुझे ज़िंदा करोगी।

©Yusuf Dehlvi

क्या यूँ ही करती रहेंगीं ये आँखें तुम्हारी तलाश। तुम कब इन आँखों का सफर ख़त्म करोगी। क्या में यूँ ही मरता रहूँगा इस इश्क़ की आग में। तुम कब अपने लम्स से मुझे ज़िंदा करोगी। ©Yusuf Dehlvi

#meltingdown

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