अटलजी
यह माँ भारत का रत्न था,
प्रखर राष्ट्रवाद का अटल था,
अंधेरो के तुफानों से न झुका था,
ले हाथ मे केसरिया निकल पडा था।
मैदानों मे जनसैलाब उमड पडा था,
मुखसे प्रखर राष्ट्रप्रेम वक्तृत्व तेज था,
हृदय कमल पर विनम्रता का भाव था,
समरसता भाव अटलजी का आवाज था।
✍️अमोल तपासे, नागपूर
©Amol Tapase