विलुप्तीकरण केवल पशु ,पक्षी और पौधों तक सिमित नहीं रहा बल्कि अब समाज में वह इंसान भी ख़तम होते जा रहे हैं जिनके पास भावनाओं का भंडार हुआ करता था |
और इसका कारण केवल और केवल दिशाविहिन,असीमित इच्छाओं का होना है |
जो समाज की नैतिक भावना और पर्यावरण को भी ख़तम कर रही है |
©Ravina Rajput
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