मौसम बदल भी सकता है"
वैसे तो प्रायः ऋतुऐं निर्धारित रहती हैं,
लेकिन मनमर्ज़ी मौसम बदल भी सकता है
प्रकृति से अत्याधिक छेड़छाड़ बर्दाश्त
नहीं, खुदगर्ज़ी मौसम गति बदल भी सकता है।
मानव दानव निज स्वार्थ हेतु ,नित
नए-नए प्रयोग तो अक्सर करता ही रहता है।
जब हद से ज़्यादा पीड़ा बढ़ जाती है,
विकराल रूप लेकर मंसूबे कुचल भी सकता है।
©Anuj Ray
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