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हिज्र में तुम्हारे मुझे मुस्कुराना अच्छा नहीं लगता यूं झूँठे अच्छा हाल बतलाना अच्छा नहीं लगता सियाही -ए- फुरकत छाई जहन में इस कदर मेरे के जुगनु का भी जगमगाना अच्छा नहीं लगता हसरत -ए- दीदार -ए- सनम में मुद्दतों से ऐ यार आंखों का मेरी यों तड़पड़ाना अच्छा नहीं लगता आ जाओगे लौट कर जल्दी फिर तुम घर अपने दिल को लेकिन यूं बरगलाना अच्छा नहीं लगता पालना उम्मीद दिल में पहले तुमसे मिलने की अपने आप को फिर समझाना अच्छा नहीं लगता करे क्या ये "अश्क" बता, सफ़र-ए- तन्हा शब में तुम बिन गजल भी गुनगुनाना अच्छा नहीं लगता अरविन्द "अश्क" ©Arvind Rao

#शायरी #तुम  हिज्र में तुम्हारे मुझे मुस्कुराना अच्छा नहीं लगता
यूं झूँठे अच्छा हाल बतलाना अच्छा नहीं लगता 

सियाही -ए- फुरकत छाई जहन में इस कदर मेरे
के जुगनु  का भी  जगमगाना अच्छा नहीं लगता

हसरत -ए- दीदार -ए- सनम में मुद्दतों से ऐ यार
आंखों का मेरी यों तड़पड़ाना अच्छा नहीं लगता

आ जाओगे लौट कर जल्दी फिर तुम घर अपने
दिल को लेकिन यूं बरगलाना अच्छा नहीं लगता

पालना  उम्मीद  दिल में  पहले  तुमसे  मिलने की
अपने आप को फिर समझाना अच्छा नहीं लगता 

करे क्या ये "अश्क" बता, सफ़र-ए- तन्हा शब में
तुम बिन गजल भी गुनगुनाना अच्छा नहीं लगता

अरविन्द "अश्क"

©Arvind Rao

#तुम बिन

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मौसम बदल भी सकता है" वैसे तो प्रायः ऋतुऐं निर्धारित रहती हैं, लेकिन मनमर्ज़ी मौसम बदल भी सकता है प्रकृति से अत्याधिक छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं, खुदगर्ज़ी मौसम गति बदल भी सकता है। मानव दानव निज स्वार्थ हेतु ,नित नए-नए प्रयोग तो अक्सर करता ही रहता है। जब हद से ज़्यादा पीड़ा बढ़ जाती है, विकराल रूप लेकर मंसूबे कुचल भी सकता है। ©Anuj Ray

#कविता  मौसम बदल भी सकता है"

वैसे तो प्रायः ऋतुऐं निर्धारित रहती हैं,
लेकिन मनमर्ज़ी मौसम बदल भी सकता है 


प्रकृति से अत्याधिक छेड़छाड़ बर्दाश्त 
नहीं, खुदगर्ज़ी मौसम गति बदल भी सकता है।

मानव दानव निज स्वार्थ हेतु ,नित
नए-नए प्रयोग तो अक्सर करता ही रहता है।


जब हद से ज़्यादा पीड़ा बढ़ जाती है,
विकराल रूप लेकर मंसूबे कुचल भी सकता है।

©Anuj Ray

# मौसम बदल भी सकता है"

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#Grayscale #Quotes  हरे नोट सब को प्यारे
हरी की धुन में सब मतबारे 
हरे पेड़ ये काटत जाबें 
देखो अकल के ये कितने मारे

©Dr Yatendra Gurjar

#Grayscale

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#कविता #अ  पहले वे आये समाजवादियों के लिये
और मैं कुछ नहीं बोला
क्योंकि मैं समाजवादी नहीं था

फिर वे आये यहूदियों के लिये
और मैं कुछ नहीं बोला
क्योंकि मैं यहूदी नहीं था

फिर वे मेरे लिये आये
और तब तक कोई नहीं था
जो मेरे लिये बोलता

@पास्टर मार्टिन निमोलर
हिटलर के समकालीन कवि

©Rabindra Prasad Sinha

#अ

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#शायरी #Grayscale  शहद की शीशियां हमनें शराब में डाल रखीं हैं 
नीम के पेड़ पर मधुमक्खियां पाल रखीं है

©Anil Kumar Baghpat Up

#Grayscale

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#मजाक_मस्ती #कचकच_कचकच #कॉमेडी  विदेश मे : She is very confident girl

भारत मे : जुबान तो देखो इस लडकी कि , कैंची कि तरह चलती है #कचकच_कचकच

©Andy Mann
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