सबका नम्बर आयेगा अपने अंधे राजा की, खुलकर के जय-ज | हिंदी Shayari

"सबका नम्बर आयेगा अपने अंधे राजा की, खुलकर के जय-जयकार करें, सबका नम्बर आयेगा बस, थोड़ा इंतज़ार करें। लोगों के मरने-जीने से, उसको कोई फ़र्क़ नहीं, देश भाड़ में जाये लेकिन, वोटों का प्रचार करें। सत्ता की नज़रों में हम सब, केवल एक आँकड़ा हैं, उन्हीं आंकड़ों में मौतों की, वृद्धि बेशुमार करें। हम सब भ्रम पाले बैठे हैं, सत्ता हमें बचायेगी, इस भ्रम को पाले-पाले ही, मृत्यु को स्वीकार करें। मन्त्री, तन्त्री और संतरी, मौत से न बच पायेंगे, इसीलिए इक-दूजे के संग, हम अच्छा व्यवहार करें। सत्ता को नंगा कर डाला, देखो तो कोरोना ने, ऐसे सत्ताधीशों को अब, मिलकर के धिक्कार करें। ऑक्सिजन और अस्पताल भी, जो जनता को दे न सकी, उस निर्लज्ज, निकम्मी सत्ता, पर हम क्यों न हम वार करें। नेताओं के चक्कर में, हम सब आपस में लड़ते हैं, कितने अपनों को खोया है, इस पर ज़रा विचार करें। वोट हमारे लेकर के जो, माननीय बन बैठे हैं, कोरोना में ग़ायब उन पर, हम जूतमपैजार करें। जिन पर ज्यादा शक्ति नहीं वे, लगे हैं जान बचाने में, सत्ताधारी महलों से, बस जुमलों की बौछार करें। आलीशान महल साहेब का, सुनो जरूरी जनता से, इतने देशभक्त नेता को, क्यों न हम सब प्यार करें। चारों तरफ़ बिछी हैं लाशें, मिलता न शमशान कहीं, इतने अच्छे दिन आये हैं, स्वागत बारम्बार करें। नेताओं का एक लक्ष्य है, अय्याशी में कमी न हो, डूब रही नैय्या भारत की, ईश्वर भव से पार करें। चाटुकार, जनता के मरने, को भी सही बताते हैं, ऐसे लोगों की बुद्धि का, ईश्वर ही उपचार करें। सच्चाई लिखने से, सत्ता जेल में हमको डालेगी, क्या केवल इतने डर से ही, झूठ का हम उच्चार करें। सरकारों की चरण वन्दना, राष्ट्रभक्त न करते हैं, चाटुकारिता सत्ताओं की, तो केवल लाचार करें। सच न कहना तो मर जाने, से भी ज़्यादा बदतर है, "रोहित" अपनी क़लम को बोलो, क्यों न हम तलवार करें।। ©✍️ रोहित"

 सबका नम्बर आयेगा

अपने अंधे राजा की, खुलकर के जय-जयकार करें,
सबका नम्बर आयेगा बस, थोड़ा इंतज़ार करें।

लोगों के मरने-जीने से, उसको कोई फ़र्क़ नहीं,
देश भाड़ में जाये लेकिन, वोटों का प्रचार करें।

सत्ता की नज़रों में हम सब, केवल एक आँकड़ा हैं,
उन्हीं आंकड़ों में मौतों की, वृद्धि बेशुमार करें।

हम सब भ्रम पाले बैठे हैं, सत्ता हमें बचायेगी,
इस भ्रम को पाले-पाले ही, मृत्यु को स्वीकार करें।

मन्त्री, तन्त्री और संतरी, मौत से न बच पायेंगे,
इसीलिए इक-दूजे के संग, हम अच्छा व्यवहार करें।

सत्ता को नंगा कर डाला, देखो तो कोरोना ने,
ऐसे सत्ताधीशों को अब, मिलकर के धिक्कार करें।

ऑक्सिजन और अस्पताल भी, जो जनता को दे न सकी,
उस निर्लज्ज, निकम्मी सत्ता, पर हम क्यों न हम वार करें।

नेताओं के चक्कर में, हम सब आपस में लड़ते हैं,
कितने अपनों को खोया है, इस पर ज़रा विचार करें।

वोट हमारे लेकर के जो, माननीय बन बैठे हैं,
कोरोना में ग़ायब उन पर, हम जूतमपैजार करें।

जिन पर ज्यादा शक्ति नहीं वे, लगे हैं जान बचाने में,
सत्ताधारी महलों से, बस जुमलों की बौछार करें।

आलीशान महल साहेब का, सुनो जरूरी जनता से,
इतने देशभक्त नेता को, क्यों न हम सब प्यार करें।

चारों तरफ़ बिछी हैं लाशें, मिलता न शमशान कहीं,
इतने अच्छे दिन आये हैं, स्वागत बारम्बार करें।

नेताओं का एक लक्ष्य है, अय्याशी में कमी न हो,
डूब रही नैय्या भारत की, ईश्वर भव से पार करें।

चाटुकार, जनता के मरने, को भी सही बताते हैं,
ऐसे लोगों की बुद्धि का, ईश्वर ही उपचार करें।

सच्चाई लिखने से, सत्ता जेल में हमको डालेगी,
क्या केवल इतने डर से ही, झूठ का हम उच्चार करें।

सरकारों की चरण वन्दना, राष्ट्रभक्त न करते हैं,
चाटुकारिता सत्ताओं की, तो केवल लाचार करें।

सच न कहना तो मर जाने, से भी ज़्यादा बदतर है,
"रोहित" अपनी क़लम को बोलो, क्यों न हम तलवार करें।।

©✍️ रोहित

सबका नम्बर आयेगा अपने अंधे राजा की, खुलकर के जय-जयकार करें, सबका नम्बर आयेगा बस, थोड़ा इंतज़ार करें। लोगों के मरने-जीने से, उसको कोई फ़र्क़ नहीं, देश भाड़ में जाये लेकिन, वोटों का प्रचार करें। सत्ता की नज़रों में हम सब, केवल एक आँकड़ा हैं, उन्हीं आंकड़ों में मौतों की, वृद्धि बेशुमार करें। हम सब भ्रम पाले बैठे हैं, सत्ता हमें बचायेगी, इस भ्रम को पाले-पाले ही, मृत्यु को स्वीकार करें। मन्त्री, तन्त्री और संतरी, मौत से न बच पायेंगे, इसीलिए इक-दूजे के संग, हम अच्छा व्यवहार करें। सत्ता को नंगा कर डाला, देखो तो कोरोना ने, ऐसे सत्ताधीशों को अब, मिलकर के धिक्कार करें। ऑक्सिजन और अस्पताल भी, जो जनता को दे न सकी, उस निर्लज्ज, निकम्मी सत्ता, पर हम क्यों न हम वार करें। नेताओं के चक्कर में, हम सब आपस में लड़ते हैं, कितने अपनों को खोया है, इस पर ज़रा विचार करें। वोट हमारे लेकर के जो, माननीय बन बैठे हैं, कोरोना में ग़ायब उन पर, हम जूतमपैजार करें। जिन पर ज्यादा शक्ति नहीं वे, लगे हैं जान बचाने में, सत्ताधारी महलों से, बस जुमलों की बौछार करें। आलीशान महल साहेब का, सुनो जरूरी जनता से, इतने देशभक्त नेता को, क्यों न हम सब प्यार करें। चारों तरफ़ बिछी हैं लाशें, मिलता न शमशान कहीं, इतने अच्छे दिन आये हैं, स्वागत बारम्बार करें। नेताओं का एक लक्ष्य है, अय्याशी में कमी न हो, डूब रही नैय्या भारत की, ईश्वर भव से पार करें। चाटुकार, जनता के मरने, को भी सही बताते हैं, ऐसे लोगों की बुद्धि का, ईश्वर ही उपचार करें। सच्चाई लिखने से, सत्ता जेल में हमको डालेगी, क्या केवल इतने डर से ही, झूठ का हम उच्चार करें। सरकारों की चरण वन्दना, राष्ट्रभक्त न करते हैं, चाटुकारिता सत्ताओं की, तो केवल लाचार करें। सच न कहना तो मर जाने, से भी ज़्यादा बदतर है, "रोहित" अपनी क़लम को बोलो, क्यों न हम तलवार करें।। ©✍️ रोहित

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