✍️ रोहित

✍️ रोहित Lives in Aligarh, Uttar Pradesh, India

ये मेरी लेखनी जब-जब लिखे तो हे मेरे ईश्वर! हरेक दिल में, हरेक धड़कन में हिन्दुस्तान लिक्खूं मैं।।

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अपने सभी गुनाहों को, नाटक करके धो देता है, शर्म, लिहाज सभी अपनी को, बार-बार खो देता है, सत्ता के चक्कर में हरदम, मस्त मगन रहने वाला, देश में ख़ुद ही आग लगाकर, इसी तरह रो देता है। ©✍️ रोहित

#India  अपने सभी गुनाहों को, नाटक करके धो देता है,
शर्म, लिहाज सभी अपनी को, बार-बार खो देता है,
सत्ता के चक्कर में हरदम, मस्त मगन रहने वाला,
देश में ख़ुद ही आग लगाकर, इसी तरह रो देता है।

©✍️ रोहित

#India

9 Love

मन की आखों से देखों क्योंकि टायर और पेट्रोल डालकर, इन्हें जलाते देखा है, मुस्लिम वाली शैली को, हमने अपनाते देखा है, साहेब के शासन में, कितनी उन्नति हुई हिन्दुओं की, पहली बार हिन्दुओं को, लाशें दफ़नाते देखा है।। ©✍️ रोहित

#AdhureVakya  मन की आखों से देखों क्योंकि 
टायर और पेट्रोल डालकर, इन्हें जलाते देखा है,
मुस्लिम वाली शैली को, हमने अपनाते देखा है,
साहेब के शासन में, कितनी उन्नति हुई हिन्दुओं की,
 पहली बार हिन्दुओं को, लाशें दफ़नाते देखा है।।

©✍️ रोहित

#AdhureVakya

10 Love

साहेब की बातें उनकी, भावुकता जैसी जाली हैं, बाग उजाड़ दिया है जिसने, साहेब ऐसे माली हैं, साहेब के रोने को लोगों, ने हँसकर के टाल दिया, जनता समझ चुकी है साहेब, के आँसू घड़ियाली हैं। ©✍️ रोहित

#Nodiscrimination  साहेब की बातें उनकी, भावुकता जैसी जाली हैं,
बाग उजाड़ दिया है जिसने, साहेब ऐसे माली हैं,
साहेब के रोने को लोगों, ने हँसकर के टाल दिया,
जनता समझ चुकी है साहेब, के आँसू घड़ियाली हैं।

©✍️ रोहित

आत्मउन्नति की खातिर, वैरागी होना अच्छा है, स्वाभिमान को खोने से तो, त्यागी होना अच्छा है, ऋषिवर दयानन्द से हमने, केवल इतना सीखा है, चाटुकार बन जाने से तो, बागी होना अच्छा है।। ©✍️ रोहित

#kavirohitarya #agitation #baghi  आत्मउन्नति की खातिर, वैरागी होना अच्छा है,
स्वाभिमान को खोने से तो, त्यागी होना अच्छा है,
ऋषिवर दयानन्द से हमने, केवल इतना सीखा है,
चाटुकार बन जाने से तो, बागी होना अच्छा है।।

©✍️ रोहित

सबका नम्बर आयेगा अपने अंधे राजा की, खुलकर के जय-जयकार करें, सबका नम्बर आयेगा बस, थोड़ा इंतज़ार करें। लोगों के मरने-जीने से, उसको कोई फ़र्क़ नहीं, देश भाड़ में जाये लेकिन, वोटों का प्रचार करें। सत्ता की नज़रों में हम सब, केवल एक आँकड़ा हैं, उन्हीं आंकड़ों में मौतों की, वृद्धि बेशुमार करें। हम सब भ्रम पाले बैठे हैं, सत्ता हमें बचायेगी, इस भ्रम को पाले-पाले ही, मृत्यु को स्वीकार करें। मन्त्री, तन्त्री और संतरी, मौत से न बच पायेंगे, इसीलिए इक-दूजे के संग, हम अच्छा व्यवहार करें। सत्ता को नंगा कर डाला, देखो तो कोरोना ने, ऐसे सत्ताधीशों को अब, मिलकर के धिक्कार करें। ऑक्सिजन और अस्पताल भी, जो जनता को दे न सकी, उस निर्लज्ज, निकम्मी सत्ता, पर हम क्यों न हम वार करें। नेताओं के चक्कर में, हम सब आपस में लड़ते हैं, कितने अपनों को खोया है, इस पर ज़रा विचार करें। वोट हमारे लेकर के जो, माननीय बन बैठे हैं, कोरोना में ग़ायब उन पर, हम जूतमपैजार करें। जिन पर ज्यादा शक्ति नहीं वे, लगे हैं जान बचाने में, सत्ताधारी महलों से, बस जुमलों की बौछार करें। आलीशान महल साहेब का, सुनो जरूरी जनता से, इतने देशभक्त नेता को, क्यों न हम सब प्यार करें। चारों तरफ़ बिछी हैं लाशें, मिलता न शमशान कहीं, इतने अच्छे दिन आये हैं, स्वागत बारम्बार करें। नेताओं का एक लक्ष्य है, अय्याशी में कमी न हो, डूब रही नैय्या भारत की, ईश्वर भव से पार करें। चाटुकार, जनता के मरने, को भी सही बताते हैं, ऐसे लोगों की बुद्धि का, ईश्वर ही उपचार करें। सच्चाई लिखने से, सत्ता जेल में हमको डालेगी, क्या केवल इतने डर से ही, झूठ का हम उच्चार करें। सरकारों की चरण वन्दना, राष्ट्रभक्त न करते हैं, चाटुकारिता सत्ताओं की, तो केवल लाचार करें। सच न कहना तो मर जाने, से भी ज़्यादा बदतर है, "रोहित" अपनी क़लम को बोलो, क्यों न हम तलवार करें।। ©✍️ रोहित

#kavirohitarya #COVIDVaccine  सबका नम्बर आयेगा

अपने अंधे राजा की, खुलकर के जय-जयकार करें,
सबका नम्बर आयेगा बस, थोड़ा इंतज़ार करें।

लोगों के मरने-जीने से, उसको कोई फ़र्क़ नहीं,
देश भाड़ में जाये लेकिन, वोटों का प्रचार करें।

सत्ता की नज़रों में हम सब, केवल एक आँकड़ा हैं,
उन्हीं आंकड़ों में मौतों की, वृद्धि बेशुमार करें।

हम सब भ्रम पाले बैठे हैं, सत्ता हमें बचायेगी,
इस भ्रम को पाले-पाले ही, मृत्यु को स्वीकार करें।

मन्त्री, तन्त्री और संतरी, मौत से न बच पायेंगे,
इसीलिए इक-दूजे के संग, हम अच्छा व्यवहार करें।

सत्ता को नंगा कर डाला, देखो तो कोरोना ने,
ऐसे सत्ताधीशों को अब, मिलकर के धिक्कार करें।

ऑक्सिजन और अस्पताल भी, जो जनता को दे न सकी,
उस निर्लज्ज, निकम्मी सत्ता, पर हम क्यों न हम वार करें।

नेताओं के चक्कर में, हम सब आपस में लड़ते हैं,
कितने अपनों को खोया है, इस पर ज़रा विचार करें।

वोट हमारे लेकर के जो, माननीय बन बैठे हैं,
कोरोना में ग़ायब उन पर, हम जूतमपैजार करें।

जिन पर ज्यादा शक्ति नहीं वे, लगे हैं जान बचाने में,
सत्ताधारी महलों से, बस जुमलों की बौछार करें।

आलीशान महल साहेब का, सुनो जरूरी जनता से,
इतने देशभक्त नेता को, क्यों न हम सब प्यार करें।

चारों तरफ़ बिछी हैं लाशें, मिलता न शमशान कहीं,
इतने अच्छे दिन आये हैं, स्वागत बारम्बार करें।

नेताओं का एक लक्ष्य है, अय्याशी में कमी न हो,
डूब रही नैय्या भारत की, ईश्वर भव से पार करें।

चाटुकार, जनता के मरने, को भी सही बताते हैं,
ऐसे लोगों की बुद्धि का, ईश्वर ही उपचार करें।

सच्चाई लिखने से, सत्ता जेल में हमको डालेगी,
क्या केवल इतने डर से ही, झूठ का हम उच्चार करें।

सरकारों की चरण वन्दना, राष्ट्रभक्त न करते हैं,
चाटुकारिता सत्ताओं की, तो केवल लाचार करें।

सच न कहना तो मर जाने, से भी ज़्यादा बदतर है,
"रोहित" अपनी क़लम को बोलो, क्यों न हम तलवार करें।।

©✍️ रोहित

वाल्मीकि रामायण, किष्किन्धा काण्ड, द्वितीय सर्ग में राम द्वारा हनुमान से वार्तालाप के आधार पर लक्ष्मण को बताई गईं हनुमान के चरित्र की विशेषतायें बोले लक्ष्मण से रघुराई, बात सुनो अब मेरी भाई, इन्हें नहीं साधारण मानो, अति विद्वान इन्हें तुम जानो। इनकी भाषा बता रही है, यह मनुष्य सामान्य नहीं है, चारों वेदों के ज्ञाता हैं, उच्च कोटि के उद्गाता हैं।। शुद्ध परिष्कृत भाषा देखो, शब्दों की अभिलाषा देखो, बारम्बार व्याकरण पढ़कर, आए ज्ञान रथों पर चढ़कर।। वाक्य विशारद, शत्रु विनाशक, हनुमान हैं ज्ञान उपासक, उच्चारण में दोष नहीं है, भाषा में आक्रोश नहीं है।। संस्कार से भरे हुए हैं, शब्द अधर पर धरे हुए हैं, नीति निपुण और सौम्य भाव है, प्रेम बांटने का स्वभाव है।। अति विनम्र और बुद्धिमान हैं, बहुत चतुर, करुणा निधान हैं, वीर, संयमी सद्गुण धारे, लगते हैं देखो अति प्यारे।। बल और तेज अखण्ड भरा है, साहस, धैर्य प्रचण्ड भरा है, सबकी नैया पार करेंगे, हनुमान उद्धार करेंगे।। ©✍️ रोहित

#hanumanjayanti #Hanuman  वाल्मीकि रामायण, किष्किन्धा काण्ड, द्वितीय सर्ग में राम द्वारा हनुमान से 
वार्तालाप के आधार पर लक्ष्मण को बताई गईं

हनुमान के चरित्र की विशेषतायें

बोले लक्ष्मण से रघुराई, बात सुनो अब मेरी भाई,
इन्हें नहीं साधारण मानो, अति विद्वान इन्हें तुम जानो।

इनकी भाषा बता रही है, यह मनुष्य सामान्य नहीं है,
चारों वेदों के ज्ञाता हैं, उच्च कोटि के उद्गाता हैं।।

शुद्ध परिष्कृत भाषा देखो, शब्दों की अभिलाषा देखो,
बारम्बार व्याकरण पढ़कर, आए ज्ञान रथों पर चढ़कर।।

वाक्य विशारद, शत्रु विनाशक, हनुमान हैं ज्ञान उपासक,
उच्चारण में दोष नहीं है, भाषा में आक्रोश नहीं है।।

संस्कार से भरे हुए हैं, शब्द अधर पर धरे हुए हैं,
नीति निपुण और सौम्य भाव है, प्रेम बांटने का स्वभाव है।।

अति विनम्र और बुद्धिमान हैं, बहुत चतुर, करुणा निधान हैं,
वीर, संयमी सद्गुण धारे, लगते हैं देखो अति प्यारे।।

बल और तेज अखण्ड भरा है, साहस, धैर्य प्रचण्ड भरा है,
सबकी नैया पार करेंगे, हनुमान उद्धार करेंगे।।

©✍️ रोहित
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