साहेब की बातें उनकी, भावुकता जैसी जाली हैं, बाग उज

"साहेब की बातें उनकी, भावुकता जैसी जाली हैं, बाग उजाड़ दिया है जिसने, साहेब ऐसे माली हैं, साहेब के रोने को लोगों, ने हँसकर के टाल दिया, जनता समझ चुकी है साहेब, के आँसू घड़ियाली हैं। ©✍️ रोहित"

 साहेब की बातें उनकी, भावुकता जैसी जाली हैं,
बाग उजाड़ दिया है जिसने, साहेब ऐसे माली हैं,
साहेब के रोने को लोगों, ने हँसकर के टाल दिया,
जनता समझ चुकी है साहेब, के आँसू घड़ियाली हैं।

©✍️ रोहित

साहेब की बातें उनकी, भावुकता जैसी जाली हैं, बाग उजाड़ दिया है जिसने, साहेब ऐसे माली हैं, साहेब के रोने को लोगों, ने हँसकर के टाल दिया, जनता समझ चुकी है साहेब, के आँसू घड़ियाली हैं। ©✍️ रोहित

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