White जो यूनिवर्सिटी बनी थी ज्ञान देने के लिए, देश | हिंदी मोटिवेशनल

"White जो यूनिवर्सिटी बनी थी ज्ञान देने के लिए, देश के तलवार को इक म्यान देने के लिए। बदल रहा है काम इसका पश्चिम की आड़ में, लोग जाने लगे यहां वासना की जुगाड़ में। मां बाप के स्वाभिमान से गूंथी हुई चोटियां , घर से दूर पढ़ने आई गांव शहर की बेटियां । जिसको यह देश दुर्गा देवी समझता है , बहू बनने पर जिन्हें लक्ष्मी कहता है। कितनों से लड़ कर मां बाप शहर भेजते हैं, मेरी बेटी पर भरोसा है यही सबसे कहते हैं । निज संस्कार भूलकर वो आधुनिक बनने लगी, दिखावे के चक्कर में छोटे कपड़े पहनने लगी। पढ़ाई को छोड़ लड़के सीटियां बजाने लगे , बाइक पर बैठाकर इन्हें शहर घुमाने लगे। वो सब कुछ छोड़ अलग दुनिया में जीने लगे, Girlfriend के साथ शराब सिगरेट पीने लगे। जवानी के नशे में चूर लड़के अंधे हो गए, लड़कियों को रूम पर लाने के धंधे हो गए। ये बेटियां भी बड़ी समझती हैं अपने आपको, याद नहीं करती कभी बूढ़े मां बाप को। It's my life अपने मन में सोचने लगीं , तभी तो चंद पैसों पर जिस्म बेचने लगीं। यदि पैसे की तंगी है तो दो रोटी कम खाओ तुम, केवल पापा के पैसे में अपना काम चलाओ तुम। अरे भारत की बेटी हो ऐसे न लाचार बनो, सीता या अनुसुइया का फिर से तुम किरदार। चुनो, शक्ति को धारण करके फिर बन जाओ दुर्गा माई। भक्ति में डूबो और फिर कहलाओ मीरा बाई, हवस मिटाने के खातिर फिर तुमको कोई देखे तो। स्वयं के लिए फिर से तुम बन जाओ लक्ष्मी बाई। ©Shubham Mishra"

 White जो यूनिवर्सिटी बनी थी ज्ञान देने के लिए,
देश के तलवार को इक म्यान देने के लिए।
बदल रहा है काम इसका पश्चिम की आड़ में, 
लोग जाने लगे  यहां वासना की जुगाड़ में। 
मां बाप के स्वाभिमान से गूंथी हुई चोटियां ,
घर से दूर पढ़ने आई गांव शहर की बेटियां ।
जिसको यह देश दुर्गा देवी समझता है ,
बहू बनने पर जिन्हें लक्ष्मी कहता है। 
कितनों से लड़ कर मां बाप शहर भेजते हैं, 
मेरी बेटी पर भरोसा है यही सबसे कहते हैं ।
निज संस्कार भूलकर वो आधुनिक बनने लगी, 
दिखावे के चक्कर में छोटे कपड़े पहनने लगी। 
पढ़ाई को छोड़ लड़के सीटियां बजाने लगे ,
बाइक पर बैठाकर इन्हें शहर घुमाने लगे।
वो सब कुछ छोड़ अलग दुनिया में जीने लगे, 
Girlfriend के साथ शराब सिगरेट पीने लगे। 
जवानी के नशे में चूर लड़के अंधे हो गए, 
लड़कियों को रूम पर लाने के धंधे हो गए।
ये बेटियां भी बड़ी समझती हैं अपने आपको, 
याद नहीं करती कभी बूढ़े मां बाप को। 
It's my life अपने मन में सोचने लगीं ,
तभी तो चंद पैसों पर जिस्म बेचने लगीं। 
यदि पैसे की तंगी है तो दो रोटी कम खाओ तुम, 
केवल पापा के पैसे में अपना काम चलाओ तुम। 
अरे भारत की बेटी हो  ऐसे न लाचार बनो,
सीता या अनुसुइया का फिर से तुम किरदार। चुनो,
शक्ति को धारण करके फिर बन जाओ दुर्गा माई।
भक्ति में डूबो और फिर कहलाओ मीरा बाई, 
हवस मिटाने के खातिर फिर तुमको कोई देखे तो। 
स्वयं के लिए फिर से तुम बन जाओ लक्ष्मी बाई।

©Shubham Mishra

White जो यूनिवर्सिटी बनी थी ज्ञान देने के लिए, देश के तलवार को इक म्यान देने के लिए। बदल रहा है काम इसका पश्चिम की आड़ में, लोग जाने लगे यहां वासना की जुगाड़ में। मां बाप के स्वाभिमान से गूंथी हुई चोटियां , घर से दूर पढ़ने आई गांव शहर की बेटियां । जिसको यह देश दुर्गा देवी समझता है , बहू बनने पर जिन्हें लक्ष्मी कहता है। कितनों से लड़ कर मां बाप शहर भेजते हैं, मेरी बेटी पर भरोसा है यही सबसे कहते हैं । निज संस्कार भूलकर वो आधुनिक बनने लगी, दिखावे के चक्कर में छोटे कपड़े पहनने लगी। पढ़ाई को छोड़ लड़के सीटियां बजाने लगे , बाइक पर बैठाकर इन्हें शहर घुमाने लगे। वो सब कुछ छोड़ अलग दुनिया में जीने लगे, Girlfriend के साथ शराब सिगरेट पीने लगे। जवानी के नशे में चूर लड़के अंधे हो गए, लड़कियों को रूम पर लाने के धंधे हो गए। ये बेटियां भी बड़ी समझती हैं अपने आपको, याद नहीं करती कभी बूढ़े मां बाप को। It's my life अपने मन में सोचने लगीं , तभी तो चंद पैसों पर जिस्म बेचने लगीं। यदि पैसे की तंगी है तो दो रोटी कम खाओ तुम, केवल पापा के पैसे में अपना काम चलाओ तुम। अरे भारत की बेटी हो ऐसे न लाचार बनो, सीता या अनुसुइया का फिर से तुम किरदार। चुनो, शक्ति को धारण करके फिर बन जाओ दुर्गा माई। भक्ति में डूबो और फिर कहलाओ मीरा बाई, हवस मिटाने के खातिर फिर तुमको कोई देखे तो। स्वयं के लिए फिर से तुम बन जाओ लक्ष्मी बाई। ©Shubham Mishra

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