Shubham Mishra

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किसी के याद के आंसू किसी के गम की रातें हैं, कभी मिलने की थी पर अब बिछड़ने की ही बातें हैं, जो कहते थे तुम्हें देखूं तभी मुझको सुकूं मिलता, वो कहते हैं तुम्हें अब देख करके ऊब जाते हैं। ©Shubham Mishra

#शायरी #Sad_Status  किसी के याद के आंसू किसी के गम की रातें हैं,
कभी मिलने की थी पर अब बिछड़ने की ही बातें हैं,
जो कहते थे तुम्हें देखूं तभी मुझको सुकूं मिलता,
वो कहते हैं तुम्हें अब देख करके ऊब जाते हैं।

©Shubham Mishra

#Sad_Status गम भरी शायरी

17 Love

White सपने में खूब आता है गांव अब हमारे, यादों में आते रहते गांवों के वो नजारे, सपने में खूब आता है गांव अब हमारे। फूलों का यूं महकना पक्षी का चहचहाना। उठते ही देर सुबह दादा से गाली खाना। फिर बैठ नाश्ते पर सब चाय पानी पीते, चेहरे पे लिए मुस्की खुशहाली खूब जीते। मुझको बुला रहे हैं नदियों के वो किनारे, सपने में खूब आता है गांव अब हमारे, यादों में आते रहते गांवों के वो नजारे। वो मिट्टी वाली सड़कें बैलों की उसपे जोड़ी, वो गर्म दूध वाले मटकों ने साढ़ी छोड़ी। फूलों की क्यारियों को दादा का वो सजाना, टूटी हुई संदूक में दादी का था खजाना। सब काम कर रहे थे भगवान के सहारे, सपने में खूब आता है गांव अब हमारे, यादों में आते रहते गांवों के वो नजारे। खेतों में दिख रहा था बस एक रंग धानी, दिन काटते थे मेरे बगिया और बागवानी। छावों में बुनते रहते सब बैठ करके डलिया, स्कूल से बचाती थी रोज हमको पुलिया। ढहती थी धीरे धीरे मिट्टी की वो दिवारें, सपने में खूब आता है गांव अब हमारे, यादों में आते रहते गांवों के वो नजारे। ©Shubham Mishra

#कविता #good_night  White सपने में खूब आता है गांव अब हमारे, 
यादों में आते रहते गांवों के वो नजारे,
सपने में खूब आता है गांव अब हमारे। 
फूलों का यूं महकना पक्षी का चहचहाना।
उठते ही देर सुबह दादा से गाली खाना।
फिर बैठ नाश्ते पर सब चाय पानी पीते, 
चेहरे पे लिए मुस्की खुशहाली खूब जीते। 
मुझको बुला रहे हैं नदियों के वो किनारे, 
सपने में खूब आता है गांव अब हमारे, 
यादों में आते रहते गांवों के वो नजारे।
वो मिट्टी वाली सड़कें बैलों की उसपे जोड़ी,
वो गर्म दूध वाले मटकों ने साढ़ी छोड़ी।
फूलों की क्यारियों को दादा का वो सजाना,
टूटी हुई संदूक में दादी का था खजाना। 
सब काम कर रहे थे भगवान के सहारे, 
सपने में खूब आता है गांव अब हमारे, 
यादों में आते रहते गांवों के वो नजारे।
खेतों में दिख रहा था बस एक रंग धानी,
दिन काटते थे मेरे बगिया और बागवानी। 
छावों में बुनते रहते सब बैठ करके डलिया,
स्कूल से बचाती थी रोज हमको पुलिया। 
ढहती थी धीरे धीरे मिट्टी की वो दिवारें,
सपने में खूब आता है गांव अब हमारे,
यादों में आते रहते गांवों के वो नजारे।

©Shubham Mishra

#good_night village

15 Love

White सुबह से शाम हो जाती पता तक चल नहीं पाता लगी है भूख तेजी से चला पैदल नहीं जाता जो बच्चा वेड पे सोता था उसे अब छत पे सोना है भले ही ठंड कितनी हो सुबह बर्तन भी धोना है जो घर में खूब खाता है उसे राशन की चिंता है किसी दिन खा लिया ज्यादा तो roommate रोटी गिनता है जो पूरे घर का मालिक था मिला कमरे में हिस्सा है ये घर से दूर पढ़ने वाले Student का किस्सा है ©Shubham Mishra

#मोटिवेशनल #good_night  White सुबह से शाम हो जाती 
पता तक चल नहीं पाता
लगी है भूख तेजी से 
चला पैदल नहीं जाता 
जो बच्चा वेड पे सोता था 
उसे अब छत पे सोना है 
भले ही ठंड कितनी हो 
सुबह बर्तन भी धोना है 
जो घर में खूब खाता है 
उसे राशन की चिंता है 
किसी दिन खा लिया ज्यादा 
तो roommate रोटी गिनता है
जो पूरे घर का मालिक था 
 मिला कमरे में हिस्सा है 
ये घर से दूर पढ़ने वाले 
Student का किस्सा है

©Shubham Mishra

#good_night student

10 Love

#कविता  White निगाहों को चुराने की अदाकारी भी रखती है,
मै किसको देखता हूं ये भी अच्छे से परखती है, 
बहाने खूब बनाती है मुझे न चाहने के वो, 
मै उस पर मर रहा हूं ये सबसे कहती रहती है।
कभी ऐल्बम से अपनी वो पुरानी फोटो लाती है,
कभी मेहंदी से अक्षर नाम का पहला लिखाती है,
दिखावा मस्ती का करके मुझे खुद देखती रहती,
मै उस पर मर रहा हूं ये सबसे कहती रहती है।
बहुत नटखट है प्यारी है बहुत मासूम लगती है,
किसी के प्यार में पागल वो अब मरहूम लगती है,
मुझे भी अच्छी लगती है गवारा ये नहीं करता, 
मगर वो जितना कह रही मैं उतना भी नहीं मरता।

©Shubham Mishra

#Love Shubham Mishra

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#कविता #Sad_Status  White मै था पूरा तभी से अधूरा हआ, 
जब से चेहरा बना एक तस्वीर वो।
यदि किसी को मेरा ख्याल थोड़ा भी है,
ला के दे दे मुझे मेरी जागीर वो।
गलतियां मानता और सब जानता,
तुम हो जिद्दी मगर हो वफादार भी।
नफरतें आजकल के दिखावे में हैं,
असलियत में तो करती हो बस प्यार ही।
धड़कनों को घटाती बढ़ाती थी तुम,
रात नींदों को मेरे बुलाती थी तुम।
जागने की अगर जिद मै करता था तो,
Phone को off करके सुलाती थी तुम।
आजकल ख्वाब कोई आता नहीं,
डाटकर प्यार कोई जताता नहीं।
रिश्ते में वो दिखावे तो सब कर रहे,
पर तेरे जैसा कोई निभाता नहीं।
नींदों की तरह मेरी आंखों में,
बिन बताये ही मुझसे आ जाओ न।
Sorry का भेज रहा गुलदस्ता मै ,
देखकर इसको फिर से पिघल जाओ न।

©Shubham Mishra

#Sad_Status Shubham Mishra

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#कविता #Sad_shayri  White नई नश्लों के आंखो की कहां खोई रवानी है,
पढ़े हैं सैकड़ों पन्नें फिर क्यूं बदजुबानी हैं,
बुजुर्गों के अनादर में मजा भरपूर आता है,
नशे में डूबती दिखती भला कैसी जवानी है।

©Shubham Mishra

#Sad_shayri shubham mishra

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