White पसंद है उसे मेरे हाथों में चूड़ियां मेरे प | हिंदी कविता

"White पसंद है उसे मेरे हाथों में चूड़ियां मेरे पैरों में बंधे पायल की रुनझुन उसकी मुस्कान को और गहरा बना देती है जब भी लगाती हूं काली बिंदी उसकी आंखें चूम लेती हैं मेरा माथा चुपके से , साड़ी पहन लूं तो रुकता नहीं मेरी तारीफ किए बगैर आज पूछा है मैंने मेरा सजना – संवारना भाता है न तुम्हें ? तुम्हें अच्छी लगती है झुमके वाली तसवीर? बोलो .. सुनो तुम सबसे अच्छा लगता है तुम्हारे हाथों में कलम और किताब , चित्र बनाते हुए तुम्हारे चेहरे पर पड़ी रंगों की बिंदी किसी मंच से तुम्हारी बोलती हुई तस्वीर मुझे मुग्ध करती है , अपनी छात्राओं से घिरी तुम्हारी तस्वीर सुकून देती है मुझे और सुनो किसी नदी पहाड़ सागर किनारे घूमते हुई खींची तुम्हारी तस्वीर मुझमें डाल जाती है हर बार थोड़ा और जीवन ... और ..और मैं सोच रही हूं तबसे मुझे बिना डोर बांध लिया है तुमने कितने अपनेपन से © Pallavi pandey"

 White पसंद है उसे 
मेरे हाथों में चूड़ियां 
मेरे पैरों में बंधे पायल की रुनझुन 
उसकी मुस्कान को और 
गहरा बना देती है 
जब भी लगाती हूं काली बिंदी 
उसकी आंखें चूम लेती हैं मेरा माथा चुपके से ,
साड़ी पहन लूं तो रुकता नहीं 
मेरी तारीफ किए बगैर 
आज पूछा है मैंने 
मेरा सजना – संवारना भाता है  न तुम्हें ? 
तुम्हें अच्छी लगती है झुमके वाली तसवीर?
बोलो ..
सुनो तुम 
सबसे अच्छा लगता है 
तुम्हारे हाथों में कलम और किताब ,
चित्र बनाते हुए तुम्हारे चेहरे पर पड़ी रंगों की बिंदी 
किसी मंच से तुम्हारी बोलती हुई तस्वीर मुझे मुग्ध करती है ,
अपनी छात्राओं से घिरी तुम्हारी तस्वीर सुकून देती है मुझे 
और सुनो 
किसी नदी पहाड़ सागर किनारे घूमते हुई खींची तुम्हारी तस्वीर 
मुझमें डाल जाती है
हर बार थोड़ा और जीवन ...
 और ..और 
मैं सोच रही हूं तबसे 
मुझे बिना डोर बांध लिया है तुमने 
कितने अपनेपन से

© Pallavi pandey

White पसंद है उसे मेरे हाथों में चूड़ियां मेरे पैरों में बंधे पायल की रुनझुन उसकी मुस्कान को और गहरा बना देती है जब भी लगाती हूं काली बिंदी उसकी आंखें चूम लेती हैं मेरा माथा चुपके से , साड़ी पहन लूं तो रुकता नहीं मेरी तारीफ किए बगैर आज पूछा है मैंने मेरा सजना – संवारना भाता है न तुम्हें ? तुम्हें अच्छी लगती है झुमके वाली तसवीर? बोलो .. सुनो तुम सबसे अच्छा लगता है तुम्हारे हाथों में कलम और किताब , चित्र बनाते हुए तुम्हारे चेहरे पर पड़ी रंगों की बिंदी किसी मंच से तुम्हारी बोलती हुई तस्वीर मुझे मुग्ध करती है , अपनी छात्राओं से घिरी तुम्हारी तस्वीर सुकून देती है मुझे और सुनो किसी नदी पहाड़ सागर किनारे घूमते हुई खींची तुम्हारी तस्वीर मुझमें डाल जाती है हर बार थोड़ा और जीवन ... और ..और मैं सोच रही हूं तबसे मुझे बिना डोर बांध लिया है तुमने कितने अपनेपन से © Pallavi pandey

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