"मिले ना फूल तो कटों से ज़ख्म खाना है तेरी गली में मुझे बार बार आना है
में अपने खून का इल्जाम दूं तो किस को दूं लिहाज़ ये है के कातिल से दोस्ताना है
saqlain waris"
मिले ना फूल तो कटों से ज़ख्म खाना है तेरी गली में मुझे बार बार आना है
में अपने खून का इल्जाम दूं तो किस को दूं लिहाज़ ये है के कातिल से दोस्ताना है
saqlain waris