मिले ना फूल तो कटों से ज़ख्म खाना है तेरी गली में मुझे बार बार आना है
में अपने खून का इल्जाम दूं तो किस को दूं लिहाज़ ये है के कातिल से दोस्ताना है
saqlain waris
हर आँखों में आँसू, कहां हुसैन ने कह दो कोई गया भी नहीं गलत नहीं है जो कह दूं कोई हिला भी नहीं अली की बेटी ने खुद को सेवर जिहाद किया कोई मरा भी नहीं और कोई बचा भी नहीं
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