इन शहरों की लाइटों मे तन्हाइयाँ पलती है,
दूर चुपचाप खामोश कुछ ख्वाहिशों के
बंद दरवाजे दस्तक देते हैं
रातों के अंधेरो मे सन्नाटे मे जलते बल्ब
की रोशनी कही दूर तलक जाने की मिन्नते
जीया करती है
कही टीम टीम तारों से भरे आसमान देखकर
पैर पसर से जाते हैं तो
कहीं ac की तंग हवा से सिमटे नज़र आते हैं
कहीं बिस्तर पर गिरते सुबह हो जाती है तो
कहीं रात भर जागते भी धूप नही आती है
कुछ किस्से गाने के धुन मे पेट सहलाते है तो
कुछ आँखें नमी से भर जाते है
कही करवट से एक उम्र बदल जाती है तो
कही कई उम्र करवट ही नही आती है
कही कुछ अधूरे से पूरे हुआ करते हैं तो
कुछ पूरे होकर हक जताया करते हैं
कुछ अपने जख़्म छुपाया करते हैं तो
कुछ जी भर के रोया करते हैं
कुछ कश्मकश मे जिया करते हैं तो
कहीं दौड़ भरी जिंदगी थकान मिटाया करते है तो
कही अपने आखरी अल्फाज बयां करते है।
@gulzarwriter
।।अपना शहर बनारस❤❤।।
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