सत्य की हो सम्पन्नता
तो धनतेरस हैं
प्रेम की हो पूर्णता
तो धनतेरस हैं
करूणा की ऋद्धि हो
तो धनतेरस हैं
स्नेह की सिद्धि हो
तो धनतेरस हैं
सोम्यता सम्पत्ति हो
तो धनतेरस हैं
उदारता विभूति हो
तो धनतेरस हैं
कि सदाचार ही
स्वर्ण मुद्राए हैं
हृदय में भर लो
तो धन तेरस हैं
मानवता ही धन हैं
ध्यान में धर लो
तो धनतेरस हैं
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©संतोष
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