White कोई सर पे कोई सीने पे सवार रहता है झूठ की ह | हिंदी कविता

"White कोई सर पे कोई सीने पे सवार रहता है झूठ की हस्ती में कौन वफादार रहता है पेट की आग में कहीं जलता है आदमी बदन की आग में कोई बेकरार रहता है वक्त के तकाजे का जो गुलाम है आदमी हर मुआमलात वो ही कुसुरवार रहता है इंसान ने मानव इतिहास से सीखा है बेकुसूर आदमी क्यूं गुनहगार रहता है खुद्दारियों की अकड़न में रहने वाला यहां शायद ही कभी चमनजार रहता है आईना लाख करे राम सच की इबादत इस शहर में मेरा चेहरा दागदार रहता है *राणा रामशंकर सिंह उर्फ बंजारा कवि* 🖊️"

 White कोई सर पे कोई सीने पे सवार रहता है 
झूठ की हस्ती में कौन वफादार रहता है 

पेट की आग में कहीं जलता है आदमी 
बदन की आग में कोई  बेकरार रहता है

वक्त के तकाजे का जो गुलाम है आदमी 
हर मुआमलात वो ही कुसुरवार रहता है 

इंसान ने मानव इतिहास से  सीखा है 
बेकुसूर आदमी  क्यूं गुनहगार रहता है

खुद्दारियों की अकड़न में रहने वाला यहां 
शायद ही  कभी चमनजार रहता है

आईना लाख करे राम सच की इबादत 
इस शहर में मेरा चेहरा दागदार रहता है

*राणा रामशंकर सिंह उर्फ बंजारा कवि*  🖊️

White कोई सर पे कोई सीने पे सवार रहता है झूठ की हस्ती में कौन वफादार रहता है पेट की आग में कहीं जलता है आदमी बदन की आग में कोई बेकरार रहता है वक्त के तकाजे का जो गुलाम है आदमी हर मुआमलात वो ही कुसुरवार रहता है इंसान ने मानव इतिहास से सीखा है बेकुसूर आदमी क्यूं गुनहगार रहता है खुद्दारियों की अकड़न में रहने वाला यहां शायद ही कभी चमनजार रहता है आईना लाख करे राम सच की इबादत इस शहर में मेरा चेहरा दागदार रहता है *राणा रामशंकर सिंह उर्फ बंजारा कवि* 🖊️

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