Ram Shankar

Ram Shankar Lives in Siliguri, West Bengal, India

Manager in Bank of India and a poet : writer

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White न इस तरफ़ आता रहा न उस तरफ़ जाता रहा चक्रव्यूह कुछ एसा कि गोल-गोल घूम जाता रहा नदी के दो छोर हैं सिस्टम और सियासत यहां क्षेत्रवाद दोनों तरफ़ अपनी लहरें उठाता रहा कश्ती का मुसाफिर हूँ परदेश के समंदर में कहीं हवा की मर्जी जिधर उधर ही घूम जाता रहा सैलाबों का सहारा क्या तूफानों में किनारा क्या शाम ढलते ही कोई सूरज मेरा छुपाता रहा साहिल पे बैठा था जो उस्ताद मेरा हमदर्द बनकर आज हाथ मोड़कर वो खूब मुस्कुराता रहा। रामशंकर सिंह उर्फ बंजारा कवि 🖊️.....

#शायरी #sad_shayari  White न इस तरफ़ आता रहा न उस तरफ़ जाता रहा 
चक्रव्यूह कुछ एसा कि गोल-गोल घूम जाता रहा 

नदी के दो छोर हैं सिस्टम और सियासत यहां 
क्षेत्रवाद दोनों तरफ़ अपनी लहरें उठाता रहा 

कश्ती का मुसाफिर हूँ परदेश के समंदर में कहीं 
हवा की मर्जी जिधर  उधर ही घूम जाता रहा 

सैलाबों का सहारा क्या तूफानों में किनारा क्या 
शाम ढलते ही कोई सूरज मेरा छुपाता रहा 

साहिल पे बैठा था जो उस्ताद मेरा हमदर्द बनकर
आज हाथ मोड़कर  वो खूब मुस्कुराता रहा।

रामशंकर सिंह उर्फ बंजारा कवि  🖊️.....

#sad_shayari

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White *पेपर लीक और भ्रष्ट्राचार* 🖊️.... जिसकी आदत है...झूठी कसम खाएगा ही... लाख बोलो....वो दूध में पानी मिलाएगा ही लाख सील कर लो पेपर लोहे के लिफाफे में यहां ये लीक होता था... लीक हो जाएगा ही मुस्तैद है अब चोर कोई नेता कोई अफसर बनकर हुनर खानदानी है जिनका रंग दिखलाएगा ही फक्त पेट की आग नहीं... जिसमें लोग जलते हैं शौक दुनिया का है अजब ये गुल खिलाएगा ही ईमानदारी एक शौक है दुनिया की बड़ी ही मंहगी जो कर लो भ्रष्ट्राचारी यहां घूस खाएगा ही आँख मूँद कर ऐतबारी का जमाना नहीं राम जो करेगा अब..... पीठ पर खंजर पायेगा ही ✍️ राणा राम शंकर सिंह उर्फ बंजारा कवि

#कविता #bike_wale  White *पेपर लीक और भ्रष्ट्राचार*  🖊️....

जिसकी आदत है...झूठी कसम खाएगा ही...
लाख बोलो....वो दूध में पानी मिलाएगा ही

लाख सील कर लो पेपर लोहे के लिफाफे में यहां 
ये लीक होता था... लीक हो जाएगा ही 

मुस्तैद है अब चोर कोई नेता कोई अफसर बनकर 
हुनर खानदानी है जिनका रंग  दिखलाएगा ही 

फक्त पेट की आग नहीं... जिसमें लोग जलते हैं 
शौक दुनिया का है अजब ये गुल खिलाएगा ही

ईमानदारी एक शौक है दुनिया की बड़ी ही मंहगी 
जो कर लो भ्रष्ट्राचारी यहां घूस खाएगा ही

आँख मूँद कर ऐतबारी का जमाना नहीं राम 
जो करेगा अब..... पीठ पर खंजर पायेगा ही 

✍️ राणा राम शंकर सिंह  उर्फ बंजारा कवि

#bike_wale

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 रामशंकर सिंह 🖊️ पेपर लीक... 🖊️

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 रामशंकर सिंह 🖋️ पेपर लीक.... 🖊️

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White *पेपर लीक* 🖊️..... हद से ज्यादा जब भी सताता है कोई आदमी तब जाकर आवाज़ उठाता है कोई आदमी बार -बार पेपर लीक बार -बार ये भ्रष्ट्राचार कभी सोचा है कितना रुलाता है कोई आदमी कोई बगावत कहे या सरफिरा बदमाशी इसे कहां शौक से आंख दिखाता है कोई आदमी किस पे भरोसा हो किस पर एतबार किया जाए हर जगह ईमान बेचकर कमाता है कोई आदमी थक गई जिंदगी जिसके सारे दाव आजमा के खुदखुशी को कदम फिर बढ़ाता है कोई आदमी आग की जलन का खौफ कब तक रखें कोई मजबूर होकर मशाल जलाता है कोई आदमी गांव - गांव... शहर- शहर गोलबंद होकर गीत इन्कलाब के गुनगुनाता है कोई आदमी कोई मन के कोने में राम कोई मुंह के सामने जितनी कुव्वत उतना चिल्लाता है कोई आदमी इंसाफ़ की तराजू में सदियों से ताकत है भारी इसलिए भेड़ बकरियों को मार खाता है आदमी राणा रामशंकर सिंह बंजारा कवि 🖊️

#कविता #alone_quotes  White *पेपर लीक*  🖊️.....

हद से ज्यादा जब भी  सताता है कोई आदमी 
तब जाकर  आवाज़ उठाता है कोई आदमी 

बार -बार पेपर लीक बार -बार ये भ्रष्ट्राचार 
कभी सोचा है कितना रुलाता है कोई आदमी 

कोई बगावत कहे या सरफिरा बदमाशी  इसे 
कहां शौक से आंख दिखाता है कोई आदमी 

किस पे भरोसा हो किस पर एतबार किया जाए 
हर जगह ईमान बेचकर कमाता है कोई आदमी 

थक गई जिंदगी जिसके सारे दाव आजमा के 
खुदखुशी को कदम फिर  बढ़ाता है कोई आदमी 

आग की जलन का खौफ कब तक रखें कोई 
मजबूर होकर मशाल जलाता है कोई आदमी 

गांव - गांव... शहर- शहर गोलबंद होकर 
गीत इन्कलाब के गुनगुनाता है कोई आदमी 

कोई मन के कोने में राम कोई मुंह के सामने 
जितनी कुव्वत उतना चिल्लाता है कोई आदमी

इंसाफ़ की तराजू में सदियों से ताकत है भारी 
इसलिए भेड़ बकरियों को मार खाता है आदमी

राणा रामशंकर सिंह बंजारा कवि  🖊️

White कोई सर पे कोई सीने पे सवार रहता है झूठ की हस्ती में कौन वफादार रहता है पेट की आग में कहीं जलता है आदमी बदन की आग में कोई बेकरार रहता है वक्त के तकाजे का जो गुलाम है आदमी हर मुआमलात वो ही कुसुरवार रहता है इंसान ने मानव इतिहास से सीखा है बेकुसूर आदमी क्यूं गुनहगार रहता है खुद्दारियों की अकड़न में रहने वाला यहां शायद ही कभी चमनजार रहता है आईना लाख करे राम सच की इबादत इस शहर में मेरा चेहरा दागदार रहता है *राणा रामशंकर सिंह उर्फ बंजारा कवि* 🖊️

#कविता #Night  White कोई सर पे कोई सीने पे सवार रहता है 
झूठ की हस्ती में कौन वफादार रहता है 

पेट की आग में कहीं जलता है आदमी 
बदन की आग में कोई  बेकरार रहता है

वक्त के तकाजे का जो गुलाम है आदमी 
हर मुआमलात वो ही कुसुरवार रहता है 

इंसान ने मानव इतिहास से  सीखा है 
बेकुसूर आदमी  क्यूं गुनहगार रहता है

खुद्दारियों की अकड़न में रहने वाला यहां 
शायद ही  कभी चमनजार रहता है

आईना लाख करे राम सच की इबादत 
इस शहर में मेरा चेहरा दागदार रहता है

*राणा रामशंकर सिंह उर्फ बंजारा कवि*  🖊️

#Night

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