White न इस तरफ़ आता रहा न उस तरफ़ जाता रहा चक्रव् | हिंदी शायरी

"White न इस तरफ़ आता रहा न उस तरफ़ जाता रहा चक्रव्यूह कुछ एसा कि गोल-गोल घूम जाता रहा नदी के दो छोर हैं सिस्टम और सियासत यहां क्षेत्रवाद दोनों तरफ़ अपनी लहरें उठाता रहा कश्ती का मुसाफिर हूँ परदेश के समंदर में कहीं हवा की मर्जी जिधर उधर ही घूम जाता रहा सैलाबों का सहारा क्या तूफानों में किनारा क्या शाम ढलते ही कोई सूरज मेरा छुपाता रहा साहिल पे बैठा था जो उस्ताद मेरा हमदर्द बनकर आज हाथ मोड़कर वो खूब मुस्कुराता रहा। रामशंकर सिंह उर्फ बंजारा कवि 🖊️....."

 White न इस तरफ़ आता रहा न उस तरफ़ जाता रहा 
चक्रव्यूह कुछ एसा कि गोल-गोल घूम जाता रहा 

नदी के दो छोर हैं सिस्टम और सियासत यहां 
क्षेत्रवाद दोनों तरफ़ अपनी लहरें उठाता रहा 

कश्ती का मुसाफिर हूँ परदेश के समंदर में कहीं 
हवा की मर्जी जिधर  उधर ही घूम जाता रहा 

सैलाबों का सहारा क्या तूफानों में किनारा क्या 
शाम ढलते ही कोई सूरज मेरा छुपाता रहा 

साहिल पे बैठा था जो उस्ताद मेरा हमदर्द बनकर
आज हाथ मोड़कर  वो खूब मुस्कुराता रहा।

रामशंकर सिंह उर्फ बंजारा कवि  🖊️.....

White न इस तरफ़ आता रहा न उस तरफ़ जाता रहा चक्रव्यूह कुछ एसा कि गोल-गोल घूम जाता रहा नदी के दो छोर हैं सिस्टम और सियासत यहां क्षेत्रवाद दोनों तरफ़ अपनी लहरें उठाता रहा कश्ती का मुसाफिर हूँ परदेश के समंदर में कहीं हवा की मर्जी जिधर उधर ही घूम जाता रहा सैलाबों का सहारा क्या तूफानों में किनारा क्या शाम ढलते ही कोई सूरज मेरा छुपाता रहा साहिल पे बैठा था जो उस्ताद मेरा हमदर्द बनकर आज हाथ मोड़कर वो खूब मुस्कुराता रहा। रामशंकर सिंह उर्फ बंजारा कवि 🖊️.....

#sad_shayari

People who shared love close

More like this

Trending Topic