छत पर एक पंखा लटका है पंखें पर लटकी है एक अर्थी इस | हिंदी कविता

"छत पर एक पंखा लटका है पंखें पर लटकी है एक अर्थी इसी अर्थी के कफ़न पर लटक रहा है एक हृदय विदारक वाक्यांश- "अपनों के हाथों मरी मै !" शिनाख्त को अर्थी के टैग पर हिन्दू-मुसलमां के लहू से लिखा है "दिल्ली !" मंडरा रहे हैं सियार और गिद्ध सब कुछ नोंच खाने को !"

 छत पर एक पंखा लटका है
पंखें पर लटकी है एक अर्थी
इसी अर्थी के कफ़न पर लटक रहा है 
एक हृदय विदारक वाक्यांश-
"अपनों के हाथों मरी मै !"
शिनाख्त को अर्थी के टैग पर 
हिन्दू-मुसलमां के लहू से लिखा है
"दिल्ली !" 
मंडरा रहे हैं सियार और गिद्ध
सब कुछ नोंच खाने को !

छत पर एक पंखा लटका है पंखें पर लटकी है एक अर्थी इसी अर्थी के कफ़न पर लटक रहा है एक हृदय विदारक वाक्यांश- "अपनों के हाथों मरी मै !" शिनाख्त को अर्थी के टैग पर हिन्दू-मुसलमां के लहू से लिखा है "दिल्ली !" मंडरा रहे हैं सियार और गिद्ध सब कुछ नोंच खाने को !

#Delhi violence must be stopped

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