City Life
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सोचता हूँ कभी कि शहर चला जाऊँ, गाँव घर पे ढहा के कहर चला जाऊँ। मगर! आंगन में मैंने जो पाले हैं पालतू, कैसे? उन्हें पिला कर ज़हर चला जाऊँ। ©एस पी "हुड्डन"

#गाँव_शहर #शायरी  सोचता  हूँ  कभी  कि शहर चला जाऊँ,
गाँव घर  पे  ढहा  के  कहर चला जाऊँ।
मगर! आंगन  में मैंने जो पाले हैं पालतू,
कैसे? उन्हें पिला कर ज़हर चला जाऊँ।

©एस पी "हुड्डन"

अपनो से बहुत दूर कमाने निकले हैं, हम भी खुद को आजमाने निकले हैं। ऊंचाइयों को छूने की तमन्ना है दिल में, परिंदे, पंखों की उड़ान दिखाने निकले हैं। देखें थे जो सपने, अपने घर के आँगन में, इस भीड़ में अपना वजूद बनाने निकले हैं। आवारा थे, अब हम थोड़ा संभल कर चलेंगे, थोड़े कर्ज चुकाने ,थोड़े फर्ज निभाने निकले हैं। भटकते हुए कही अटक ही जायेंगे ," केशव", दाने की तलाश में, दरवाजे खटखटाने निकले हैं। ©keshav

#hindi_poetry #citylife #shayaari #Poetry   अपनो से बहुत दूर कमाने निकले हैं,

हम भी खुद को आजमाने निकले हैं।


ऊंचाइयों को छूने की तमन्ना है दिल में,

परिंदे, पंखों की उड़ान दिखाने निकले हैं।


देखें थे जो सपने, अपने घर के आँगन में,

इस भीड़ में अपना वजूद बनाने निकले हैं।


आवारा थे, अब हम थोड़ा संभल कर चलेंगे,

थोड़े कर्ज चुकाने ,थोड़े फर्ज निभाने निकले हैं।


भटकते हुए कही अटक ही जायेंगे ," केशव",

दाने की तलाश में, दरवाजे खटखटाने निकले हैं।

©keshav
#शायरी #citylife  इक हाथ दिया उसने तो दूजे हाथ ले भी लिया
गोया तेरा ये शहर मुझसे सौदेबाज़ी कर गया।।

©Rooh_Lost_Soul

#citylife

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#विचार #citylife  बदल रही है दुनिया और बदल रहे है हम
शहरो के सिकुड़ते कमरों की तरह, 
लोगो की सोच भी हो रहीं है धीरे धीरे तंग

©Priya's poetry life

#citylife

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#शायरी #Stranger #citylife #ghazal #Friend #Home  कौन है मुंतज़िर मेरा इस शहर में
है कहाँ कोई घर मेरा इस शहर में

चार दीवारे है और है सर पे छत 
मुश्किलों से बसर मेरा इस शहर में

©Ram N Mandal

#citylife #Home #Love #ghazal #poem #Shayari #Poetry #Stranger #Friend

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#citylife #Quotes  यहां बड़े बड़े मकानों के छोटे छोटे कमरों में,
लिखी जाती है कई किताबें छोटे छोटे पन्नों में।

©Saumya Kumari

#citylife

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