एस पी

एस पी "हुड्डन" Lives in Shimla, Himachal Pradesh, India

subscribe my YouTube channel https://youtube.com/@SpHudden?si=r-zz_vitdxIBS8vc घनघोर तम में भटक कर के पथ दिखाई दिया नहीं, हाथ बढ़ाने आता कोई पग भी तो सुनाई दिया नहीं। चारों ओर मुसीबत से घिरा मैं असहाय जाता कहां? गिरता संभलता ठोकर खा कर समय बिताता यहां। नियति के बरपते थपेड़ों ने हृदय मेरा कठोर बनाया, मेरे भाग्य की अखण्ड ज्योति ने मुझे मार्ग दिखाया। मिला साथ तब अपनों का अपनों ने सहयोग किया, मेरे परिश्रम मेरी लगन का बैरियों ने था भोग किया। अब जीवन यापन का मुझको भी सलीका आया है, जिम्मेदारयों का निर्वाह करते हुए अस्तित्व पाया है। कवि और लेखक हूं। किसी को धोखा नहीं दे सकता, ना ही धोखा बर्दाश कर सकता हूं। हिंदी में मास्टरी के साथ ही #TET qualified हूं। सरकारी नौकरी की अपेक्षा अपनी कार्यकुशलता से आजीविका कमाने में दक्ष हूं। सेब बागवानी को प्रमुखता से करता हूं।

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White ठंड की ठिठुरन में सूरज ने आग ओढ़ी, दो प्रेमियों ने मिल कर सारी हदें तोड़ी। क्या करें कि बाहर तो मौसम भी ऐसा है, पर तूने ज़िद न छोड़ी मैंने ज़िद न छोड़ी। नाराज़गी भी नहीं है बातें भी नहीं होती, ऐसे कैसे जमेंगी हमारी तुम्हारी जोड़ी। ना ही तुम हो गलत और न हम फ़रेबी है, खेल हमसे खेल गई है क़िस्मत निगोड़ी। आओ कि मिलें बैठें मसलों को हल करें, गिले हैं उम्र भर के ये ज़िंदगी है थोड़ी। ©एस पी "हुड्डन"

#क़िस्मत_निगोड़ी #कविता  White ठंड की  ठिठुरन में सूरज ने आग ओढ़ी,
दो  प्रेमियों  ने मिल कर सारी हदें तोड़ी।
क्या करें कि बाहर तो मौसम भी ऐसा है,
पर तूने ज़िद न छोड़ी मैंने ज़िद न छोड़ी।
नाराज़गी  भी नहीं है बातें भी नहीं होती,
ऐसे  कैसे  जमेंगी  हमारी तुम्हारी जोड़ी।
ना ही तुम हो गलत और न हम फ़रेबी है,
खेल हमसे खेल गई है क़िस्मत निगोड़ी। 
आओ कि मिलें बैठें  मसलों को हल करें,
गिले  हैं  उम्र  भर के ये ज़िंदगी है थोड़ी।

©एस पी "हुड्डन"

White हम एक नेक और सभ्य समाज चाहते हैं, बुराईयों का कुरीतियों का इलाज चाहते हैं। हम वैहशी तो नहीं जो जंगल में राज करें, आदमी है साहब! दिलों में राज चाहते हैं। ©एस पी "हुड्डन"

#दिलों_में_राज #शायरी  White हम  एक  नेक और सभ्य समाज चाहते हैं,
बुराईयों का कुरीतियों का इलाज चाहते हैं।
हम वैहशी तो  नहीं  जो जंगल में राज करें,
आदमी  है  साहब! दिलों में राज चाहते हैं।

©एस पी "हुड्डन"

White साथ तो चले थे यार हम कहाँ रह गए, पैसा बंगला ना कार हम कहाँ रह गए। अब हिचकिचाता सा हूँ मिलने से तुम्हें, तुम अमीरों में शुमार हम कहाँ रह गए। मैं फ़िक्र में बोल लेता तुम दोस्त हो मेरे, पर खुद्दारी में खुद्दार हम कहाँ रह गए। ये संघर्ष ये मेहनत उफ़ ये मुकद्दर मेरा, ये तरक्की दरकिनार हम कहाँ रह गए। शेर सी दहाड़ थी चीते सी दौड़; लेकिन! थके हारे से लाचार हम कहाँ रह गए। समझौता ना किया सफर के उसूलों से, थी मंज़िलें भी तैयार हम कहाँ रह गए। दिल कहता है फिर मिलेंगे मौक़े; मगर! दिखता नहीं आसार हम कहाँ रह गए। न ईमान गंवाया न आधार खोया "हुड्डन" भला फिर निराधार हम कहाँ रह गए। ©एस पी "हुड्डन"

#कहाँ_रह_गए #कविता  White साथ तो चले  थे  यार हम कहाँ रह गए,
पैसा  बंगला  ना कार हम कहाँ रह गए।
अब  हिचकिचाता सा हूँ मिलने से तुम्हें,
तुम अमीरों  में  शुमार हम कहाँ रह गए।
मैं फ़िक्र  में बोल लेता  तुम दोस्त हो मेरे,
पर खुद्दारी  में  खुद्दार  हम कहाँ रह गए।
ये संघर्ष  ये  मेहनत उफ़ ये मुकद्दर मेरा,
ये तरक्की दरकिनार  हम कहाँ रह गए।
शेर सी दहाड़ थी  चीते सी दौड़; लेकिन!
थके  हारे  से  लाचार  हम कहाँ रह गए।
समझौता ना किया  सफर के उसूलों से,
थी मंज़िलें भी  तैयार  हम कहाँ रह गए।
दिल  कहता है  फिर मिलेंगे मौक़े; मगर!
दिखता  नहीं  आसार  हम कहाँ रह गए।
न ईमान गंवाया न आधार खोया "हुड्डन"
भला  फिर  निराधार  हम  कहाँ  रह गए।

©एस पी "हुड्डन"

#कहाँ_रह_गए हिंदी कविता

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White सब मुश्किल है तो फिर आसान क्या, हम जो गैर हैं तो ग़ैरों पर एहसान क्या। मत लगाओ मुझ पर फ़िज़ूल की तोहमतें, नुक्स है मुझमें तो तुम्हारा नुकसान क्या। ©एस पी "हुड्डन"

#तोहमतें #शायरी  White सब  मुश्किल  है  तो  फिर  आसान  क्या,
हम  जो  गैर हैं तो  ग़ैरों पर एहसान क्या।
मत लगाओ मुझ पर फ़िज़ूल की तोहमतें,
नुक्स  है  मुझमें तो तुम्हारा नुकसान क्या।

©एस पी "हुड्डन"

सोचता हूँ कभी कि शहर चला जाऊँ, गाँव घर पे ढहा के कहर चला जाऊँ। मगर! आंगन में मैंने जो पाले हैं पालतू, कैसे? उन्हें पिला कर ज़हर चला जाऊँ। ©एस पी "हुड्डन"

#गाँव_शहर #शायरी  सोचता  हूँ  कभी  कि शहर चला जाऊँ,
गाँव घर  पे  ढहा  के  कहर चला जाऊँ।
मगर! आंगन  में मैंने जो पाले हैं पालतू,
कैसे? उन्हें पिला कर ज़हर चला जाऊँ।

©एस पी "हुड्डन"

White आशिक थे मगर नमूने बनाए, हम इतने बेग़ैरत तूने बनाए। पागलपन एक ज़रा सा था, तुम ने पागल दोगूने बनाए। ©एस पी "हुड्डन"

#नमूने_आशिक #शायरी  White आशिक थे मगर नमूने बनाए,
हम  इतने बेग़ैरत तूने बनाए।
पागलपन  एक  ज़रा  सा था,
तुम ने  पागल  दोगूने  बनाए।

©एस पी "हुड्डन"
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