ऐ, गालिब...! ।_________________। हर बार कि तरह इस | हिंदी कविता

"ऐ, गालिब...! ।_________________। हर बार कि तरह इस बार भी बरस...! सावन में न सही तू मन्माश में बरस...! ऐ जो दर्द दे दिल का जख्म भरा है...! इसे जरा सा कुदेर कर बरस...! मैंखानो में न सही उसकी यादों में तो बरस ...! हर बार कि तरह तू इस बार भी बरस...! {I miss you}=>[M.S] ©Sumit sahu"

 ऐ, गालिब...!
।_________________।
हर बार कि तरह इस बार भी बरस...!
सावन में न सही तू मन्माश में बरस...!

ऐ जो दर्द दे दिल का जख्म भरा है...!
इसे जरा सा कुदेर कर बरस...!

मैंखानो में न सही उसकी यादों में तो बरस ...!
हर बार कि तरह तू इस बार भी बरस...!
{I miss you}=>[M.S]

©Sumit sahu

ऐ, गालिब...! ।_________________। हर बार कि तरह इस बार भी बरस...! सावन में न सही तू मन्माश में बरस...! ऐ जो दर्द दे दिल का जख्म भरा है...! इसे जरा सा कुदेर कर बरस...! मैंखानो में न सही उसकी यादों में तो बरस ...! हर बार कि तरह तू इस बार भी बरस...! {I miss you}=>[M.S] ©Sumit sahu

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