Sumit sahu

Sumit sahu Lives in Allahabad, Uttar Pradesh, India

कविता और शायरी लेखक 📝 एक कहानी 💌 by Sumit Sahu

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#कोट्स #GoodMorning  White  "नकामयाब"
!_______________!

नकामयाबी की जिन्दगी में...!
हम तो कामयाब हो गए..!
ऐ,शिक्षक" आपकी कलम कि मार से...!!
 हम तो एक होनहार हो गए...!!

"शिक्षक दिवस", =>पर हार्दिक शुभकामनाएं....!

©Sumit sahu

#GoodMorning poet's शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं...!

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White ऐ, गालिब ...! !!!______________!!! लिखूं तो क्या लिखूं मैं,,उस ख़त पर ..!! जिस ख़त का इंतज़ार,, हर वर्ष रहता है उनको...! सब का घर बसा कर,,ख़ुद को एकांत में करने लगीं हैं...!! !!..हाँ मैंने माना कि..!! !_________________! एक सूखे पत्ते कि तरह टूट कर...! आहिस्ता_आहिस्ता बिखर गई..!! एक ज़िंदगी कि तरह..! लेकिन एक सूखे पत्ते कि तरह..!! बिखर कर संभल जाना आसान नहीं होता..!! !!जन्म उत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं गुरू जी!! !________________________________________! ईश्वर सदैव आपको स्वास्थ और खुशहाल जीवन प्रदान करें...!! !____________________________________________! ©Sumit sahu

#शायरी #sad_shayari  White ऐ, गालिब ...!
!!!______________!!!

लिखूं तो क्या लिखूं मैं,,उस ख़त पर ..!!
जिस ख़त का इंतज़ार,, हर वर्ष रहता है उनको...!
सब का घर बसा कर,,ख़ुद को एकांत में करने लगीं हैं...!!

!!..हाँ मैंने माना कि..!!
!_________________!
एक सूखे पत्ते कि तरह टूट कर...!
आहिस्ता_आहिस्ता बिखर गई..!!
 एक ज़िंदगी कि तरह..!
लेकिन एक सूखे पत्ते कि तरह..!!
 बिखर कर संभल जाना आसान नहीं होता..!!

!!जन्म उत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं गुरू जी!!
!________________________________________!
ईश्वर सदैव आपको स्वास्थ और खुशहाल जीवन प्रदान करें...!!
!____________________________________________!

©Sumit sahu

#sad_shayari

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#जानकारी  एक अजीब सा संघर्ष हुआ
!___________________________!

इस सरगम भरी दुनिया में एक अजीब सा संघर्ष हुआ...!
 कच्ची उम्र में ही ओ बच्चों का जीवन संवारते _संवारते
उन्होंने अपनी आधी जीवन गुज़ार दी...!
 कुछ समय बाद जब देखा मैंने मुड़कर उस मन्दिर में...!
हर बार कि तरह इस बार भी एक कलम लिए पुस्तक पर
आँख में चश्मा लगाएं बच्चों का जीवन संवारने चल पड़ी..!
मैंने कहा गर फुर्सत मिले तो ख़ुद का भी ख्याल रखिएगा
गुरुजी .../
जन्म उत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं हमारे ह्रदय प्रिय गुरू जी..!
ईश्वर सदैव आपको स्वास्थ और खुशहाल जीवन प्रदान करें...!

©Sumit sahu

#Nojoto

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ऐ, गालिब...! ।_________________। हर बार कि तरह इस बार भी बरस...! सावन में न सही तू मन्माश में बरस...! ऐ जो दर्द दे दिल का जख्म भरा है...! इसे जरा सा कुदेर कर बरस...! मैंखानो में न सही उसकी यादों में तो बरस ...! हर बार कि तरह तू इस बार भी बरस...! {I miss you}=>[M.S] ©Sumit sahu

#कविता  ऐ, गालिब...!
।_________________।
हर बार कि तरह इस बार भी बरस...!
सावन में न सही तू मन्माश में बरस...!

ऐ जो दर्द दे दिल का जख्म भरा है...!
इसे जरा सा कुदेर कर बरस...!

मैंखानो में न सही उसकी यादों में तो बरस ...!
हर बार कि तरह तू इस बार भी बरस...!
{I miss you}=>[M.S]

©Sumit sahu

ऐ, गालिब...! ।_________________। हर बार कि तरह इस बार भी बरस...! सावन में न सही तू मन्माश में बरस...! ऐ जो दर्द दे दिल का जख्म भरा है...! इसे जरा सा कुदेर कर बरस...! मैंखानो में न सही उसकी यादों में तो बरस ...! हर बार कि तरह तू इस बार भी बरस...! {I miss you}=>[M.S] ©Sumit sahu

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#कविता  *आषाढ़ का महीना में,मन बहुत व्याकुल सा था..!
                              फ़िर मैंने सोचा याद कर लूंगा किसी और को लेकिन..!
आषाढ़ का महीना भी याद दिला गया..!
                      ज्ञान दर्पण साक्षात गुरु का करा दिया...!
 
अर्थात=> इस संसार में गुरू का ज्ञान जहां _जहां तक गया
वहां वहां तक गुरू के चरणों से मानो कि फूलों का पूरा बाग गया हो*.!

 अतः=>गुरु पूर्णिमा पर हार्दिक* शुभकामनाएं गुरु जी*..!

©Sumit sahu

*आषाढ़ का महीना में,मन बहुत व्याकुल सा था..! फ़िर मैंने सोचा याद कर लूंगा किसी और को लेकिन..! आषाढ़ का महीना भी याद दिला गया..! ज्ञान दर्पण साक्षात गुरु का करा दिया...! अर्थात=> इस संसार में गुरू का ज्ञान जहां _जहां तक गया वहां वहां तक गुरू के चरणों से मानो कि फूलों का पूरा बाग गया हो*.! अतः=>गुरु पूर्णिमा पर हार्दिक* शुभकामनाएं गुरु जी*..! ©Sumit sahu

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बेटा ने कहा=> ऐ, वक्त जरा सा तू ठहर तो सही...! ये जो सुबह का पहला खत, पापा के नाम लिख रखा है..! इसे जरा सा तू पढ़ तो सही ..! खत में लिखा था=> बेटा थोड़ा सा वक्त लगेगा आने में ...! तू बस हौसला तो रख ...! बेटा जख्म=>पर ज़ख़्म सहता रहा लेकिन कह न सका किसी और से..! फिर कुछ दिनों=> बाद में एक खत आया ..! लेकिन वक्त सवेरा का था=> खुशियां हमेशा के लिए लेकर आया..! फिर=> पिता_ पुत्र ..! बहुत अधिक समय बाद अपने परिवार के साथ एक हुए..! अर्थात्=>फिर से एक बिछड़ा हुआ परिवार आज एक हुए...! हम सब एक नया सवेरा के साथ नया जीवन का शुरुवात करें...! ©sumit sahu

#ज़िन्दगी #WinterEve  बेटा ने कहा=> ऐ, वक्त जरा सा तू ठहर तो सही...!
ये जो सुबह का पहला खत, पापा के नाम लिख रखा है..!
इसे जरा सा तू पढ़ तो सही ..!
खत में लिखा था=> बेटा थोड़ा सा वक्त लगेगा आने में ...!
तू बस हौसला तो रख ...!
बेटा जख्म=>पर ज़ख़्म सहता रहा लेकिन कह न सका किसी और से..!
फिर कुछ दिनों=> बाद में एक खत आया ..!
लेकिन वक्त सवेरा का था=> खुशियां हमेशा के लिए लेकर आया..!
                                                     
फिर=> पिता_ पुत्र ..!
बहुत अधिक समय बाद अपने परिवार के साथ एक हुए..!
अर्थात्=>फिर से एक बिछड़ा हुआ परिवार आज एक हुए...!
हम सब एक नया सवेरा के साथ नया जीवन का शुरुवात करें...!

©sumit sahu

#WinterEve

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