जब भी अपनी कविताओं में बाँधना चाहता हूँ शब्द। एक च

"जब भी अपनी कविताओं में बाँधना चाहता हूँ शब्द। एक चेहरा बार-बार अपने भीतर उतरता हुआ महसूस होता है, ठीक वैसा ही आकार लेता हुआ जैसे कि तुम- ? चुपके से आकर मेरे कानों में कहती हो- किसे बाँधना चाहते हो अपनी कविताओं में- खुद को,  मुझे या दर्द को ? ©Himkar Shyam"

 जब भी अपनी कविताओं में
बाँधना चाहता हूँ
शब्द।
एक चेहरा बार-बार
अपने भीतर
उतरता हुआ महसूस
होता है,
ठीक वैसा ही आकार लेता हुआ
जैसे कि तुम- ?
चुपके से आकर मेरे कानों में
कहती हो-
किसे बाँधना चाहते हो
अपनी कविताओं में-
खुद को,  मुझे या दर्द को ?

©Himkar Shyam

जब भी अपनी कविताओं में बाँधना चाहता हूँ शब्द। एक चेहरा बार-बार अपने भीतर उतरता हुआ महसूस होता है, ठीक वैसा ही आकार लेता हुआ जैसे कि तुम- ? चुपके से आकर मेरे कानों में कहती हो- किसे बाँधना चाहते हो अपनी कविताओं में- खुद को,  मुझे या दर्द को ? ©Himkar Shyam

#विश्व_कविता_दिवस

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