Himkar Shyam

Himkar Shyam Lives in Ranchi, Jharkhand, India

Writer। Blogger।

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अनकहे लफ़्ज़ों को तुम समझो ज़रा दर्द की हम तर्जुमानी क्या करें ©Himkar Shyam

 अनकहे लफ़्ज़ों को तुम समझो ज़रा
दर्द   की   हम  तर्जुमानी  क्या  करें

©Himkar Shyam

#शायरी

6 Love

लोग रखते गुमान क्या, मत कह वो न समझेंगे माजरा, मत कह जानता है न हश्र क्या होगा पर इसे पैंतरा नया, मत कह किसके हक़ में है फ़ैसला उसका कोई खुल कर न बोलता, मत कह उसकी नीयत न साफ लगती है देखता सिर्फ़ फ़ाएदा, मत कह हर तरफ़ बे-हयाई का मंजर कुछ नहीं है ढका छुपा, मत कह मीठी बातों से सबको लूट लिया कितना शातिर है रहनुमा, मत कह कोई सुनता नहीं किसी की अब कहने से फ़ाएदा है क्या, मत कह दौरे हाज़िर का यह तकाज़ा है झूठ क्या और सच है क्या, मत कह मुल्क अपना बदल रहा 'हिमकर' है यक़ीं या मुग़ालता, मत कह ©Himkar Shyam

#शायरी #shayri #gazal  लोग रखते गुमान क्या, मत कह
वो न समझेंगे माजरा, मत कह

जानता  है न  हश्र  क्या होगा
पर इसे पैंतरा नया, मत कह

किसके  हक़ में है  फ़ैसला उसका
कोई खुल कर न बोलता, मत कह

उसकी नीयत न साफ लगती है
देखता सिर्फ़ फ़ाएदा, मत कह

हर तरफ़ बे-हयाई का मंजर
कुछ नहीं है ढका छुपा, मत कह

मीठी बातों से सबको लूट लिया
कितना शातिर है रहनुमा, मत कह

कोई सुनता नहीं  किसी की अब
कहने से फ़ाएदा है क्या, मत कह

दौरे हाज़िर का यह तकाज़ा है
झूठ क्या और सच है क्या, मत कह

मुल्क अपना बदल रहा 'हिमकर'
है यक़ीं या मुग़ालता, मत कह

©Himkar Shyam

एक के बाद एक फँसते जा रहे हैं हम समस्याओं के, दुर्भेद चक्रव्यूह में चाहते हैं, चक्रव्यूह से बाहर निकल, मुक्त हो जाएँ हम भी रोज प्रत्यंचा चढ़ जाती है, लक्ष्य बेधन के लिए लेकिन असमर्थताएँ परास्त कर जाती हैं हर तरफ से। शायद- हो गये हैं हम भी, अभिमन्यु की तरह। काश, इससे निकलने का भेद भी बतला ही दिया होता अर्जुन ने । ©Himkar Shyam

#चक्रव्यूह #कविता  एक के बाद एक
फँसते जा रहे हैं हम
समस्याओं के,
दुर्भेद चक्रव्यूह में

चाहते हैं,
चक्रव्यूह से बाहर निकल,
मुक्त हो जाएँ हम भी
रोज प्रत्यंचा चढ़ जाती है,
लक्ष्य बेधन के लिए
लेकिन असमर्थताएँ
परास्त कर जाती हैं
हर तरफ से।

शायद-
हो गये हैं हम भी,
अभिमन्यु की तरह।
काश,
इससे निकलने का भेद भी
बतला ही दिया होता
अर्जुन ने ।

©Himkar Shyam

Happy Holi जोगीरा सारा रारारा...!!!  चरचा में है कांड वसूली, अघाड़ी परेशान।। परमबीर के लेटर बम से, सियासी घमासान। जोगीरा सारा रारारा...!!! रवींदर सा दिक्खे नरेंदर, बदला जब से वेश। सत्याग्रह भी ट्रेंड हुआ है, भौचक बंगलादेश।। जोगीरा सारा रारारा...!!! एक रात में कटा प्लास्टर, खुली ढोल की पोल। वैरी जन ट्विटर पर कहते, दीदी का सब झोल।। जोगीरा सारा रारारा...!!! एलजी के हाथों में पावर,  सत्ता की तकरार। नाराज़ केजरी माँग रहे, वापस दो अधिकार।। जोगीरा सारा रारारा...!!! हुई सदन में धक्का-मुक्की, जम जूतम पैजार। नेताओं की गुंडागर्दी, शर्मनाक व्यवहार।। जोगीरा सारा रारारा...!!! तेल गैस सब उछल रहा है, बढ़े दाम दिन-रात। राष्ट्रप्रेम में भूल गए सब, महंगाई की बात।। जोगीरा सारा रारारा...!!! बैंक बिकेगा, भेल बिकेगा, और बिकेगा रेल। प्रश्न करेगा कोई जब तो, पहुँचा देंगे जेल।। जोगीरा सारा रारारा...!!! खूँटा गाड़े टिकैत बैठा, हल के बिना किसान। मुँह फेरे शासक है बैठा, अड़ियल है परधान।। जोगीरा सारा रारारा...!!! कीचड़ पर ही भिनके माखी , खिले कमल का फूल। मुकुल- शुभेंदु भगवाधारी, बिखर गया तृण मूल।। जोगीरा सारा रारारा...!!! संघ भवन से चलती देखो, कॉरपोरेट सरकार। जोर लगाता पप्पू लेकिन, खिसक रहा आधार।। जोगीरा सारा रारारा...!!! ©Himkar Shyam

#holi2021  Happy Holi  जोगीरा सारा रारारा...!!! 

चरचा में है कांड वसूली, अघाड़ी परेशान।।
परमबीर के लेटर बम से, सियासी घमासान।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
रवींदर सा दिक्खे नरेंदर, बदला जब से वेश।
सत्याग्रह भी ट्रेंड हुआ है, भौचक बंगलादेश।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
एक रात में कटा प्लास्टर, खुली ढोल की पोल।
वैरी जन ट्विटर पर कहते, दीदी का सब झोल।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
एलजी के हाथों में पावर,  सत्ता की तकरार।
नाराज़ केजरी माँग रहे, वापस दो अधिकार।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
हुई सदन में धक्का-मुक्की, जम जूतम पैजार।
नेताओं की गुंडागर्दी, शर्मनाक व्यवहार।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
तेल गैस सब उछल रहा है, बढ़े दाम दिन-रात।
राष्ट्रप्रेम में भूल गए सब, महंगाई की बात।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
बैंक बिकेगा, भेल बिकेगा, और बिकेगा रेल।
प्रश्न करेगा कोई जब तो, पहुँचा देंगे जेल।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
खूँटा गाड़े टिकैत बैठा, हल के बिना किसान।
मुँह फेरे शासक है बैठा, अड़ियल है परधान।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
कीचड़ पर ही भिनके माखी , खिले कमल का फूल।
मुकुल- शुभेंदु भगवाधारी, बिखर गया तृण मूल।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
संघ भवन से चलती देखो, कॉरपोरेट सरकार।
जोर लगाता पप्पू लेकिन, खिसक रहा आधार।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!

©Himkar Shyam

#holi2021

11 Love

पाँवों में काँटा चुभता है लेकिन चलना तो पड़ता है मोल नहीं है सच का कोई पर खोटा सिक्का चलता है सपने सारे बिखरे जब से दिल चुपके चुपके रोता है आया है पतझड़ का मौसम शाखों से पत्ता झड़ता है कोई नग़मा फिर छेड़ो तुम कुछ सुनने को मन करता है साँसों का चलना है जीवन पल भर का रिश्ता नाता है आफ़त सर पर रहती 'हिमकर' हँस कर हर दुःख सह लेता है ©Himkar Shyam

#शायरी #ग़ज़ल  पाँवों  में  काँटा  चुभता  है
लेकिन चलना तो पड़ता है
 
मोल नहीं  है सच का  कोई
पर खोटा सिक्का चलता है
 
सपने सारे  बिखरे जब से
दिल चुपके चुपके रोता है
 
आया है पतझड़ का मौसम 
शाखों  से  पत्ता   झड़ता  है
 
कोई  नग़मा फिर छेड़ो  तुम
कुछ सुनने को मन करता है
 
साँसों का चलना है जीवन
पल भर  का  रिश्ता नाता है
 
आफ़त सर पर रहती 'हिमकर'
हँस कर हर दुःख  सह लेता है

©Himkar Shyam

जब भी अपनी कविताओं में बाँधना चाहता हूँ शब्द। एक चेहरा बार-बार अपने भीतर उतरता हुआ महसूस होता है, ठीक वैसा ही आकार लेता हुआ जैसे कि तुम- ? चुपके से आकर मेरे कानों में कहती हो- किसे बाँधना चाहते हो अपनी कविताओं में- खुद को,  मुझे या दर्द को ? ©Himkar Shyam

#विश्व_कविता_दिवस  जब भी अपनी कविताओं में
बाँधना चाहता हूँ
शब्द।
एक चेहरा बार-बार
अपने भीतर
उतरता हुआ महसूस
होता है,
ठीक वैसा ही आकार लेता हुआ
जैसे कि तुम- ?
चुपके से आकर मेरे कानों में
कहती हो-
किसे बाँधना चाहते हो
अपनी कविताओं में-
खुद को,  मुझे या दर्द को ?

©Himkar Shyam
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