लोग रखते गुमान क्या, मत कह वो न समझेंगे माजरा, मत | हिंदी शायरी

"लोग रखते गुमान क्या, मत कह वो न समझेंगे माजरा, मत कह जानता है न हश्र क्या होगा पर इसे पैंतरा नया, मत कह किसके हक़ में है फ़ैसला उसका कोई खुल कर न बोलता, मत कह उसकी नीयत न साफ लगती है देखता सिर्फ़ फ़ाएदा, मत कह हर तरफ़ बे-हयाई का मंजर कुछ नहीं है ढका छुपा, मत कह मीठी बातों से सबको लूट लिया कितना शातिर है रहनुमा, मत कह कोई सुनता नहीं किसी की अब कहने से फ़ाएदा है क्या, मत कह दौरे हाज़िर का यह तकाज़ा है झूठ क्या और सच है क्या, मत कह मुल्क अपना बदल रहा 'हिमकर' है यक़ीं या मुग़ालता, मत कह ©Himkar Shyam"

 लोग रखते गुमान क्या, मत कह
वो न समझेंगे माजरा, मत कह

जानता  है न  हश्र  क्या होगा
पर इसे पैंतरा नया, मत कह

किसके  हक़ में है  फ़ैसला उसका
कोई खुल कर न बोलता, मत कह

उसकी नीयत न साफ लगती है
देखता सिर्फ़ फ़ाएदा, मत कह

हर तरफ़ बे-हयाई का मंजर
कुछ नहीं है ढका छुपा, मत कह

मीठी बातों से सबको लूट लिया
कितना शातिर है रहनुमा, मत कह

कोई सुनता नहीं  किसी की अब
कहने से फ़ाएदा है क्या, मत कह

दौरे हाज़िर का यह तकाज़ा है
झूठ क्या और सच है क्या, मत कह

मुल्क अपना बदल रहा 'हिमकर'
है यक़ीं या मुग़ालता, मत कह

©Himkar Shyam

लोग रखते गुमान क्या, मत कह वो न समझेंगे माजरा, मत कह जानता है न हश्र क्या होगा पर इसे पैंतरा नया, मत कह किसके हक़ में है फ़ैसला उसका कोई खुल कर न बोलता, मत कह उसकी नीयत न साफ लगती है देखता सिर्फ़ फ़ाएदा, मत कह हर तरफ़ बे-हयाई का मंजर कुछ नहीं है ढका छुपा, मत कह मीठी बातों से सबको लूट लिया कितना शातिर है रहनुमा, मत कह कोई सुनता नहीं किसी की अब कहने से फ़ाएदा है क्या, मत कह दौरे हाज़िर का यह तकाज़ा है झूठ क्या और सच है क्या, मत कह मुल्क अपना बदल रहा 'हिमकर' है यक़ीं या मुग़ालता, मत कह ©Himkar Shyam

#shayri#gazal

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